जल्लीकट्टू पर बहस में हिस्सा लेने के लिए NDTV 24X7 की गेस्ट कोऑर्डिनेटर का आज फ़ोन आया।मैंने उनसे कहा- लेकिन आपको तो पता है कि प्राइवेट चैनलों की बहस में मैं नहीं जाता। उसने सॉरी बोला। मैंने थैंक यू कहा।
सोशल मीडिया युग में टीवी पर न जाना मैं आसानी से एफोर्ड कर सकता हूँ।टीवी बहस में हिस्सा लेने से कहीं ज़्यादा पैसा तो कई वेबसाइट मुझे कॉलम लिखने के लिए देते हैं।
टीवी चैनल आने जाने और रिकॉर्डिंग में तीन से चार घंटे लगते हैं। एक कॉलम लिखने में 30 से 40 मिनट लगते हैं। कॉलम ज़्यादा टिकाऊ भी है। बदल रही है मीडिया की दुनिया।
(वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के एफबी एकाउंट से साभार)