झारखंड: रघुवर कह रहे हैं हम ‘वीर’ हैं , अर्जुन अपनी तीर चला रहे हैं. झारखण्ड भाजपा में चल रहे अंदरूनी खींचतान पर झारखण्ड से पत्रकार ‘संजय मेहता’ की रिपोर्ट –
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी में सब ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी में गुटबाजी शिखर पर है। पार्टी नेतृत्व के लाख प्रयास के बाद भी गुटबाजी कम होती नहीं दिख रही है। राज्य में मुख्यमंत्री रघुवर दास की कार्यशैली से भाजपा के ही कई नेता खफा हैं। पार्टी के कई विधायक भी सरकार के कामकाज के रवैये से नाराज हैं। राज्य में भाजपा के पहली पंक्ति के नेता माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा भी वर्तमान सरकार के मुखिया से नाराज चल रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व को भी पार्टी के भीतरघात की पूरी खबर है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी के प्रकरण से भी पार्टी की किरकिरी हो चुकी है। ज्ञात हो कि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी के पुत्र ने नाबालिग लडकी से विवाह कर लिया था। इस प्रकरण में नाबालिग का विवाह कराने के आरोप में ताला मरांडी एवं उनके पुत्र पर पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर लिया गया था। जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
अंदरखाने से यह भी खबर है कि कई पुराने नेता नए अध्यक्ष के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं। पार्टी में अलग – अलग नेताओं की अपनी – अपनी लॉबी चल रही है। राज्य में सीएनटी/एसपीटी विधेयक में संशोधन को लेकर भी पार्टी में दो फाड़ है। कुछ दिनों पूर्व अर्जुन मुंडा ने सीएनटी/एसपीटी संशोधन विधेयक पर मुख्यमंत्री रघुवर दास को खुला पत्र लिख दिया था और उन्हें चेताया था कि संशोधित विधेयक का प्रारूप जन विरोधी है। अर्जुन मुंडा ने मीडिया में भी सीएनटी/एसपीटी को लेकर अपनी नाराजगी जतायी थी। लेकिन रघुवर दास के द्वारा उनके विचार को तवज्जो नहीं दी गयी। नए साल में एक जनवरी के दिन जब मुख्यमंत्री रघुवर दास अर्जुन मुंडा के क्षेत्र सरायकेला में खरसांवा गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो उनपर जुते बरसाए गए और जमकर विरोध किया गया।
एक जनवरी के दिन अर्जुन मुंडा भी शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि देने पहूंचे थे लेकिन बीजेपी के नेता होने के बावजूद अर्जुन मुंडा का विरोध ग्रामीणों ने नहीं किया। बाद में यह कहा गया कि विरोध झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा किया गया था लेकिन राजनीतिक हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि रघुवर दास ने अर्जुन मुंडा के पत्र को सम्मान नहीं दिया जिसके परिणामस्वरूप अर्जुन मुंडा गुट ने इस घटना को अंजाम दिया। फिलहाल अंदर – अंदर ही रघुवर और अर्जुन मुंडा का खेमा एक दूसरे के खिलाफ काम कर रहा है।
अर्जुन मुंडा द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखने के बाद मीडिया के माध्यम से रघुवर दास ने कहा था कि ‘‘मैं किसी से डरता नहीं यदि जरूरत पड़ी तो विधेयक में और संशोधन किया जाएगा।’’ रघुवर दास के इस बयान ने भीतरघात की आग में घी डाल दिया। इससे पूर्व कोल्हान क्षेत्र में रघुवर दास के खिलाफ पोस्टरबाजी भी की गयी थी। गुटबाजी की लड़ाई अब जुते तक पहूंच चुकी है। वहीं अन्य दलों के नेता इसपर चुटकी ले रहे हैं। पार्टी का हित चाहनेवाले नेताओं का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी के अंदर की गुटबाजी से राज्य में एक गलत संदेष जा रहा है। वहीं आम लोगों , बुद्धिजीवियों का मानना है कि राजनैतिक भीतरघात व आपसी वैमनस्यता के चलते राज्य में विकास के कार्य बाधित हो रहे हैं। भाजपा को इन पहलुओं पर विचार करने की जरूरत है।