वेद विलास उनियाल
एक दूध बेचने वाले की लड़की भारत की हाकी टीम का सदस्य बनती है। एक रिक्शा चलाने वाले व्यक्ति की लड़की भारतीय फुटबाल टीम की कैप्टन बनती है। पर टीवी पर कहीं कोई चर्चा नहीं। बस खेल यही रह गया कि इस गेंद को बैकफुट पर आकर खेलते तो ऐसा होता, आफ में एक फील्डर और बढ़ा देना चाहिए। गेंद में अच्छा फ्लाइट है। आपीएल की बेसुरी चर्चा है। पर देश का नाम रोशन करने वाली इन दो खिलाड़ियों की टीवी पर कहीं कोई बात नहीं। चैनलों के लिए आशुतोष का रोना दिखाना जरूरी। पर अपने संघर्षों के बीच अभाव और गरीबी के बीच भारतीय खेल के आकाश पर छा जाने वाली इन दो लड़कियों की एक झलक भी नहीं। इनके लिए नहीं होता टीवी का प्राइम टाइम।
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