संजय तिवारी –
आज उस हत्याकांड का विवरण पढ़ रहा था कि चंदा बाबू के दो बेटों को कैसे तेजाब से नहलाकर मारा गया था। फिर तीसरी संतान जो इस तेजाबी मौत का गवाह था उसे भी रास्ते से हटा दिया गया। बूढ़े मां बाप क्यों जिन्दा हैं उन्हें भी पता नहीं।
इस बीच काफी समय बीत चुका है। बदले समय में सर्वहारा की आवाज उठानेवाले शहाबुद्दीन की पालकी उठा रहे हैं। चंद्रशेखर प्रसाद सीपीआई या सीपीएम वाले होते तो हो सकता है किसी के प्राइमटाइम पर उनका भी जिक्र आता लेकिन वे ठहरे एमएल वाले इसलिए फासिस्टो को बैकफुट पर रखने के लिए जरूरी है कि चंद्रशेखर परसाद को फिर फिर मार दिया जाए।
कन्हैया कुमार अबकी कोई प्रेस कांफ्रेस नहीं करेंगे क्योंकि उन्हें भी उसी तरह से लालू परसाद का आशिर्वाद प्राप्त है जैसे शहाबुद्दीन को। दोनों गुरुभाई हैं। इसलिए आड़े वक्त में एक दूसरे के साथ खड़ा रहा जाए। और ये जो चंदा बाबू हैं उनकी उमर का तकाजा है कि वे भी मर ही जाएं ताकि बार बार बयान देकर लोगों का समय बर्बाद न करें।
सीवान में सेकुलर समाज को नया सिपाही मिल गया है।
(पत्रकार संजय तिवारी के वॉल से)