शेष नारायण सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
पद्मश्री के लिए मैंने कुछ स्वनामधन्य पत्रकारों को बड़े बड़े नेताओं के सामने गिडगिडाते देखा है . दिल्ली में तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता , दलाल, जुगाडू साहित्यकार सभी पद्म पुरस्कारों के लिए बड़े बड़े मठाधीशों का दरबार करते हैं , सिफारिश करवाते हैं .
दिल्ली में रहने वाले पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग उन पत्रकारों को हेय दृष्टि से देखता है जिनको पद्मश्री मिल जाता है . यह सारे इनाम अंग्रेजों की उस गुलाम मानसिकता के नमूने हैं जिनमें राय साहेब, राय बहादुर , खान बहादुर , सर आदि खिताबें दी जाती थीं .
चापलूस लोग उन दिनों भी यह खिताबें पाते थे और दिल्ली में रहने वाला कोई भी रिपोर्टर बता देगा कि आज भी चापलूसी करने वालों को ही पद्म पुरस्कार दिए जाते हैं . क्या क्या नहीं करते यह लोग इन पद्म पुरस्कारों के लिए . भारत रत्न तो शुद्ध रूप से सम्राट की मर्जी पर आधारित होता है.
(स्रोत-एफबी)