मुजफ्फरपुर में ‘मीडिया खबर मीडिया कॉनक्लेव’ का शानदार समापन

मीडिया खबर मीडिया कॉनक्लेव 2016
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बिहार में मीडिया के अर्थशास्त्र और राष्ट्रीय मीडिया में बिहार पर परिचर्चा

मीडिया खबर मीडिया कॉनक्लेव, मुजफ्फरपुर
मीडिया खबर मीडिया कॉनक्लेव, मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर. राष्ट्रीय मीडिया में बिहार की ख़बरें कम होती है और जो ख़बरें दिखाई भी जाती है वे बिहार की नकरात्मक छवि बनाते है. आखिर बिहार को लेकर नकरात्मक ख़बरों के पीछे का क्या अर्थशास्त्र है? ऐसे ही तमाम सवालों पर मुज़फ्फरपुर, मीडिया खबर मीडिया कॉनक्लेव के दौरान चर्चा हुई और राष्ट्रीय स्तर के इस सेमिनार में दिग्गज पत्रकारों ने हिस्सा लेकर अपनी राय व्यक्त की.

दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुरू हुए कार्यक्रम के उदघाट्न भाषण में मुजफ्फरपुर शहर के विधायक सुरेश शर्मा ने कार्यक्रम की तारीफ़ करते हुए कहा कि राष्ट्रीय पटल पर मुजफ्फरपुर की सांस्कृतिक पहचान को और अधिक मजबूत बनाने के लिए ऐसे और कार्यक्रम समय-समय पर होते रहने चाहिए. साथ में उन्होंने मुजफ्फरपुर में एयरपोर्ट की आवश्यकता पर भी बल दिया.

वरिष्ठ पत्रकार और बीबीसी हिंदी के पूर्व पत्रकार मणिकांत ठाकुर ने परिचर्चा की शुरुआत करते हुए बिहार की मीडिया के इतिहास पर प्रकाश डाला और वर्तमान में बिहार के मीडिया की दयनीय स्थिति पर चिंता जाहिर की. उन्होंने राष्ट्रीय मीडिया द्वारा बिहार की सिर्फ नकरात्मक ख़बरें दिखाने की प्रवृति पर निशाना साधते हुए संपादकों को आगाह किया कि वे अपनी मानसिकता बदलें.

वरिष्ठ पत्रकार शैलेश ने न्यूज़ चैनलों के अपने अनुभवों को बांटते हुए कहा कि अच्छी ख़बरों का भी अपना एक अलग अर्थशास्त्र होता है. मेरा मानना है कि नकरात्मकता की बजाए ख़बरों की गुणवत्ता को बरकरार रखते हुए भी मीडिया के व्यापार में लाभ कमाया जा सकता है. लेकिन फायनेंशियल एक्सपर्ट और फिल्म प्रोड्यूसर कवि कुमार ने बिहार में मीडिया के खराब अर्थशास्त्र के लिए सरकारी नीतियों के अलावा उद्योग धंधे की कमी को बड़ा कारण माना. उन्होंने कहा जब इंडस्ट्री ही नहीं होगी तो विज्ञापन कैसे मिलेगा और विज्ञापन नहीं मिलेगा तो मीडिया का अर्थशास्त्र कैसे तैयार होगा.इसलिए जरूरी है कि समाज,सरकार और उधमी अपनी मानसिकता बदलें.

लेकिन इंडिया न्यूज़ के मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत ने मीडिया के अर्धसत्य और अर्थशास्त्र का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए कहा कि नकरात्मक ख़बरों के लिए सिर्फ चैनल नहीं बल्कि बिहार के दर्शक भी समान रूप से जिम्मेदार हैं. उन्होंने वहां बैठे श्रोताओं से सवालिया लहजे में पूछा कि आप अपने आस-पास की कितनी सकरात्मक चीजों को हाईलाईट करते हैं? बिहार से नकरात्मक ख़बरें ही छन-छनकर आ रही है तो राष्ट्रीय समाचार चैनल इसे कैसे नज़रअंदाज कर सकता है.

मीडिया खबर मीडिया कॉनक्लेव 2016
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सीएमएस मीडिया लैब के प्रमुख ‘प्रभाकर’ ने आंकडें पेश करते हुए कहा कि राष्ट्रीय मीडिया में बिहार की ख़बरें एक प्रतिशत से भी कम होती है और जो खबरें दिखाई भी जाती है उसमें 95% ख़बरें नकरात्मक होती है.ये स्थिति तब है जब ज्यादातर चैनलों के संपादक बिहार के हैं. बिहार को लेकर राष्ट्रीय मीडिया के इस अर्थशास्त्र को समझना वाकई मुश्किल काम है.

वही कशिश न्यूज़ के स्टेट हेड(बिहार) संतोष सिंह ने बिहार में क्षेत्रीय चैनलों की दयनीय आर्थिक स्थिति के लिए डिस्ट्रीब्यूशन को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि डिस्ट्रीब्यूशन की व्यवस्था जबतक ठीक नहीं होगी तबतक क्षेत्रीय चैनलों की अर्थव्यस्था भी ठीक नहीं होगी.इसके लिए सभी चैनलों को एकजुट होकर काम करना होगा. लेकिन ईटीवी के नेशनल एडिटर आसित कुणाल ने क्षेत्रीय चैनलों के भविष्य को उज्जवल बताते हुए इस बात पर बल दिया कि यदि क्षेत्रीयता को ध्यान में रखकर कंटेंट तैयार किया जाए तो अर्थशास्त्र भी तैयार हो जाएगा. प्रातःकमल के संपादक ब्रजेश ठाकुर ने छोटे और मझोले अखबारों की समस्या पर बात की और कहा कि छोटे अखबार की अर्थव्यस्था संकट में है.

मीडिया खबर मीडिया कॉनक्लेव, मुजफ्फरपुर
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‘मीडिया खबर मीडिया कॉनक्लेव’ के दौरान ‘टीवी न्यूज़ चैनल्स इन इंडिया’ नाम की किताब का विमोचन और ‘किसान मंत्र’ और ‘बिहार दस्तक’ नाम के दो वेबसाइटों को लॉन्च भी किया गया. इसके अलावा ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित ‘अप्पन समाचार’ और भोजपुरी वेबसाईट ‘जोगीरा डॉट कॉम’ को भी ‘मीडिया खबर मीडिया अवार्ड’ से सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन पुष्कर पुष्प ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन ब्रजेश कुमार ने दिया,वही मनीष ठाकुर ने एक सत्र में सूत्रधार की भूमिका निभाई. इस मौके पर पत्रकार,बुद्धिजीवी और छात्रों के अलावा बड़ी संख्या में किसान भी मौजूद थे. मुजफ्फरपुर के अलावा दूसरे राज्यों और जिलों से कई पत्रकार,बुद्धिजीवी,राजनेता और कॉरपोरेट मौजूद थे. कॉनक्लेव के दौरान खचाखच भरे सभाघर में गोपाल त्रिवेदी(पूर्व उप कुलपति,पूसा एग्रीक्लचर),एस डी पांडेय(लीची अनुसंधान केंद्र),शैलेन्द्र सिंह(संपादक,प्रभात खबर,मुजफ्फरपुर),रीना कुमारी(विधायक,कुढनी), शिवकुमार (वरिष्ठ समाजवादी चिंतक), जीवनानंद सिंह(किसान), प्रेम बाबू(किसान),डॉ.विशाल नाथ(निदेशक,लीची अनुसंधान केंद्र),इंदिरा देवी(अध्यक्ष,जिला परिषद,मुजफ्फरपुर),आशुतोष श्रीवास्तव(कशिश न्यूज़),विजय श्रीवास्तव(दैनिक जागरण),ओम प्रकाश(कॉरपोरेट),शतीस कुमार,नरेश प्रसाद सिंह, शम्भू प्र.सिंह, विकास सिंह, लोकेश पुष्कर, सत्यप्रकाश, आलोक, नितेश, राजेश आदि अनेक गणमान्य लोगों के साथ बड़ी संख्या में लंगट सिंह कॉलेज के विद्यार्थी भी मौजूद थे.

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