ज़ी न्यूज़ की बुनियाद के पीछे राजीव गांधी

zee factorइन दिनों जी न्यूज का जो हुलिया और लक्षण आपके सामने है, आपको धोखा हो सकता है कि ये भाजपाईयों का चैनल है. ये पूरी तरह भाजपा का चैनल है. इस बात में काफी हद तक सच्चाई है भी. शुरू से ही जैन टीवी के माध्यम से इसे भाजपा का साथ मिला. लेकिन उससे भी बड़ा सच है कि इस चैनल को खड़ा करने में, अप्रत्यक्ष रूप से ही सही तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सुभाष चंन्द्रा की भरपूर मदद की.

आप इस किताब (The Z Factor: My Journey As The Wrong Man at the Right Time,) को पढ़िए. सुभाष चंद्रा ने बहुत साफ-साफ लिखा है कि राजीव गांधी से मेरी पुरानी जान-पहचान रही है लेकिन जी न्यूज के शुरू करने के दौरान ये नजदीकी ज्यादा बढ़ी.

हुआ यूं कि मुझे हर हाल में टेलीविजन न्यूज के बिजनेस में आना था और जिसके लिए स्टार से मेरी बातचीत चल रही थी. मैं उनसे किराये पर ट्रांसपॉन्डर लेना चाहता था जिसका सालभर का किराया 1.2 बिलियन था. मेरे लिए ये रकम ज्यादा थी और दूसरा कि एस्सेल वर्ल्ड के बिजनेस में मैं पहले हाथ जला चुका था. लिहाजा राजीव ने मुझसे पूछा- इतने परेशान क्यों लग रहे हो ? मैंने अपनी परेशानी बतायी और कुछ ही दिनों बाद लंदन से मेरे पास एक सज्जन का फोन आया- वो मेरी कंपनी में उतने ही पैसे लगाना चाह रहे थे जितने पैसे की जरूरत मैंने राजीव से हुई बातचीत में की थी..खैर, इन सबके सहयोग से मैं टीवी के धंधे में उतर गया. मुझे पता था कि मैं जो कर रहा हूं वो भारत के नियम-कायदे के लिहाज से गलत है लेकिन मैं अपने जुनून के आगे रूक नहीं पाया. मैंने पहले टेप पर स्वास्तिक बनाकर सिंगापुर ले गया और अब ये चैनल आपके सामने है.

सुभाष चंद्रा की किताब फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर से कम दिलचस्प नहीं है. इस किताब को हर उस शख्स को पढ़ने की जरूरत है जिन्हें लगता है मीडिया संस्थान किसी खास विचारधारा से संबद्ध होते हैं. इस बात में एक हद तक सच्चाई भी होती है लेकिन बात जब व्यावसायिक स्तर पर और निजी संबंधों तक आती है तो ये समझ भरभराकर गिर जाती है.

आज ये चैनल जितना कांग्रेस विरोधी और भाजपा का बैक टू बैक बुलेटिन जान पड़ रहा है, ऐसा इसलिए कि हम मीडिया की उपरी परतों को छूकर चले जाते हैं और सारी बहस वैचारिकी पर लाकर समेट देते हैं..जब सच बहुत संश्लिष्ट है..

(एफबी)

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