निशांत चतुर्वेदी गांधी को ढूँढने राजघाट पहुँचे, लेकिन मिली क्रिकेट की भीड़

nc3निशांत चतुर्वेदी की पड़ताल, गांधी सोंच बड़ी या ब्रांड ?
गांधी जयंती पर रेडियो मिर्ची पर एक आदमी – दूसरे से पूछता है. गांधी कहाँ मिलेंगे?
दूसरा आदमी कहता है – गांधी नोट पर मिलेंगे…गांधी चौक पर मिलेंगे…गांधी किताबों में मिलेंगे….
इसपर पहला आदमी पूछता है – गांधी किसी के दिल में मिलेंगे?

हँसी – मजाक में ही सही रेडियो मिर्ची ने गंभीर सवाल उठाया. और ऐसे ही सवाल की पड़ताल करने जब न्यूज़ एक्सप्रेस के चैनल हेड और मशहूर एंकर निशांत चतुर्वेदी राजघाट पहुँचे तो कुछ हतप्रभ और अवाक से रह गए.

दरअसल सरकार जैसे सरकारी तौर – तरीके से गांधी जयंती पर गांधी को याद करने की रस्म अदाएगी करती है ठीक उसी तरह न्यूज़ चैनलों पर भी एक बंद फॉर्मेट के तहत गांधी जयंती पर स्टोर पैकेज दिखाई जाती है. कुछ फिल्मों के विजुअल दिखाए जाते हैं और ‘गांधीनामा’ दिखाकर कर्तव्य की इतिश्री.

nc2लेकिन निशांत चतुर्वेदी न्यूज़ एक्सप्रेस के लिए इस दफे फॉर्मेट से अलग गए. रूटीन कार्यक्रम और उसपर बहस कर दर्शकों का समय खोटा करने की बजाए गांधी के आदर्शों को ढूँढने दिल्ली की सड़कों पर उतरे और जा पहुँचे राजघाट, गांधी स्मृति संग्राहलय.

वहां लंबी लाइन लगी थी और एक बार ऐसा प्रतीत हुआ कि शायद गांधी जी को ही याद करने के लिए यह भीड़ जुटी थी. लेकिन अफ़सोस ऐसा कुछ भी नहीं था. वह भीड़ क्रिकेट मैच का लुत्फ़ उठाने के लिए आयी हुई थी और पास ही स्थित स्टेडियम में जाने के लिए लंबी लाइन में खड़ी थी.

बहरहाल निशांत चतुर्वेदी ने लाइन में खड़े लोगों से बातचीत की. उनसे गांधी के आदर्शों के बारे में जानने की कोशिश की. कई लोगों से निशांत ने बातचीत की और पता चला कि दर्जनों बार यहाँ आने के बावजूद वे राजघाट के अंदर कभी नहीं गए. निशांत का सवाल क्रिकेट के लिए समय है गांधी के आदर्शों के लिए आदर्शों के लिए थोड़ा समय है या नहीं?

nc5सबसे दिलचस्प बातचीत एक ऐसे शख्स से हुई जो गांधी के आदर्शों को मानने और उसपर चलने का दावा कर रहा था लेकिन गांधी के आदर्शों का उसे पता ही नहीं था. दरअसल निशांत चतुर्वेदी (चैनल प्रमुख, न्यूज़ एक्सप्रेस) ने राजघाट पर क्रिकेट मैच का लुत्फ़ उठाने के लिए आए एक आदमी से पूछा कि क्या आप गांधी जी के आदर्शों को मानते हैं? उस व्यक्ति ने कहा – जी मानता हूँ? निशांत ने पूछा कि गांधी जी के क्या आदर्श हैं तो उस शख्स ने झेंपते हुए चुप्पी साध ली.

गांधी स्मृति के अंदर जब निशांत गए तो सबसे पाले तो वहां की शांति को भंग करने के लिए माफ़ी मांगते हुए उन्होंने कई विदेशियों से बातचीत की. हैरानी की बात रही कि इन्हें गांधी जी और सिद्धांतों के बारे में भली – भांति पता था.

न्यूज़ एक्सप्रेस पर 2अक्टूबर को रात आठ बजे के शो ‘आपका फैसला’ में इस रिपोर्टिंग को दिखाया गया और उसी आधार पर पैनल में परिचर्चा भी हुई.

शो में सवाल उठा कि गांधी आदर्श हैं या ब्रांड? सवाल ठीक था लेकिन जवाब सबको पता है. वर्तमान समय में गांधी नोट और वोट के महज प्रतीक भर बन कर रह गए हैं. फिर लोगों को उनके आदर्श कैसे याद रहेंगे? क्यों ठीक कहाँ ना निशांत? आपका फैसला!

(दर्शक की नज़र से)

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