नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्मदिन पर सरकारी विज्ञापन नदारद, धिक्कार है !

एक चीज जो आज सबसे ज्यादा खली वो है किसी भी समाचारपत्र में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्मदिन पर नेताजी के देश को आजादी दिलाने में उनके योगदान को याद करते हुए कोई भी सरकारी विज्ञापन नहीं या यूं कहिए कि इसकी कोई जरूरत नहीं समझी गई।

धिक्कार है ऐसे देश पर, जो अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद नहीं करता है। जबकि ऐसे ही अवसरों पर समाचारपत्रों के पन्ने भर जाते हैं, विभिन्न सरकारी विज्ञापनों से अगर मौका किसी गांधी-नेहरू परिवार के सदस्यों के जन्म-मृत्यु से जुड़ा हो (फिरोज गांधी अपवाद में हैं, उनकी तो मजार पर शायद दिए भी नहीं जलाए जाते हैं)।

देश का पैसा किस तरह से गैर योजना मदों में खर्च होता है यह इसका सीधा-सादा उदाहरण है। खैर, सुभाष चंद्र बोस जैसे नेता देश के आम लोगों के दिलों में बसते हैं उन्हें किसी सरकारी विज्ञापन की जरूरत नहीं।

नेताजी को उनके जन्मदिन पर शत-शत नमन। जय हिंद। जय भारत। तुम मुझे खून दो। मैं तुम्हें आजादी दूंगा। एक बार फिर से इस नारा को बुलंद करने की जरूरत है क्योंकि देश में भ्रष्टाचार और कुशासन का बोलवाला बढ़ गया है और जिसे मौका मिलता है वही लूट रहा है। भले ही चेहरे बदल जाते हैं लेकिन रंगत नहीं बदलती है।

(पत्रकार हरेश कुमार के फेसबुक वॉल से )


1 COMMENT

  1. 23 जनवरी को सच्चे महानायक नेताजी सुबाष चन्द्र बोष के जन्म दिन पर जिस तरह से सरकार के साथ-साथ मीडिया उनके महान योगदान याद नहीं कर रही है उससे इस देश की वर्तमान स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है जो मीडिया अमिताभ बच्चन के पेट दर्द को खबर बनाती हो, ऐश्वर्य की बच्ची का नामकरण करने के लिए पलकें बिछाए रहती हो, राहुल गाँधी के पार्टी उपाध्यक्ष बनाने पर दिन भर का कार्यक्रम चलाती है, खिलाडी, अभिनेता के एक एक क्रियाकलाप पर पैनी नजर गडाए मीडिया को नेताजी के जन्मदिन पर कोई कार्यक्रम करने की फुर्सत नहीं है जिनके योगदान के बिना गाँधी की लाठी और नेहरु की चापलूसी से यह देश कभी आज़ाद नहीं हो पाता उनको भुला देना इस देश की मीडिया के व्यवसायीकरण की पराकाष्ठ है जो देश अपने सच्चे नायकों को भुलाकर परदे के नायकों को महानायक बना बैठा हो उस देश का भगवान् ही मालिक है
    महानायक को उनके 116वे जन्मदिन पर पूरी श्रद्धा के साथ सत -सत नमन
    कमलेश कुमार मौर्या नॉएडा

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