जम्मू-कश्मीर पर बात कीजिये ना,आर्थिक विशेषज्ञ क्यों बन रहे हैं राजनीतिक पत्रकार?

बजट का 'ब' भी नहीं आता और सारे पत्रकार बन जाते हैं अर्थशास्त्री

राजीव रंजन झा,आर्थिक पत्रकार

सेवा कर (सर्विस टैक्स) बढ़ाना इस बजट का वह एक प्रमुख कदम है, जो लोगों को चुभ रहा है। स्वाभाविक ही है, क्योंकि कोई भी कर बढ़ना लोगों को पसंद नहीं आता। सरकार तर्क दे रही है कि संसाधन तो चाहिए ही। लेकिन ज्यादातर राजनीतिक पत्रकार, जो एक दिन के लिए आर्थिक विशेषज्ञ बन जाते हैं, अजीब-अजीब सी बातें कर रहे हैं। इसे मध्य वर्ग पर चोट बता रहे हैं। अरे भाई, सेवा कर बी2सी से ज्यादा बी2बी वाला टैक्स है। आपके पास बातें करने के लिए जम्मू-कश्मीर में बन रही नयी सरकार का मसला है ना, उस पर बात कीजिए। जो नहीं समझ में आता है, वहाँ क्यों घुसते रहते हैं?

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