क्या यह न्यूज चैनलों और न्यूजपेपर्स के अंत की शुरुआत है?

दिलीप मंडल

दिलीप मंडल

दिलीप मंडल
दिलीप मंडल

फेसबुक अब अपने यूजर्स को सीधे समाचार देने वाला है. इसकी शुरूआत अमेरिका से होगी. भारत फेसबुक का दूसरा सबसे बड़ा मार्केट है और यहां भी यह होने ही वाला है. इसके साथ ही समाचारों की दुनिया निर्णायक रूप से बदल जाएगी. यह होते ही फेसबुक दुनिया का सबसे बड़ा न्यूज प्लेटफॉर्म बन जाएगा.

फेसबुक का बिजनेस मॉडल यह है कि न्यूज कंटेंट प्रोवाइडर (जैसे अखबार, चैनल, एजेंसियां) अपना माल यानी समाचार फेसबुक को देंगे. फेसबुक उन्हें दिखाएगा. फेसबुक बदले में कंटेंट प्रोवाइडर्स के साथ रेवेन्यू शेयर करेगा. अभी यह होता है कि समाचार के साइट अपना कंटेंट फेसबुक पर प्रमोट करते हैं और यूजर, यानी आप लिंक पर क्लिक करके समाचार की साइट पर जाते हैं. लेकिन फेसबुक नहीं चाहता कि यूजर, यानी आप कहीं और जाएं. फेसबुक पर ही आपको समाचार, वीडियो सब मिल जाएगा.

भारत में 12 करोड़ से ज्यादा फेसबुक यूजर होने का यह भी मतलब है कि देश का खाता-पीता तबका न्यूज के लिए फेसबुक पर काफी हद तक निर्भर हो जाएगा. विज्ञापन तो वहीं होता है, जहां खाते-पीते ग्राहक होते हैं. भूखे को कार बेचने की कोशिश कोई नहीं करेगा. साथ ही फेसबुक हर अखबार, चैनल, एजेंसियों से तो समाचार लेगा नहीं. तो सभी नहीं बचेंगे. यह एक नए किस्म का दबाव होगा.

यह अच्छा है या बुरा, अभी कहना मुश्किल है. लेकिन मीडिया में रोजगार से लेकर बहुत सारी चीजें इससे प्रभावित होने वाली हैं.स्मार्टफोन के सस्ता होने और ब्रॉडबैंड का दायरा बढ़ने के साथ इसे जोड़कर देखिए. शुरुआत में हिंदी से ज्यादा इंग्लिश समाचार माध्यमों पर इसका असर होगा, क्योंकि हिंदी को अभी नवसाक्षर ग्राहक मिलते रहेंगे. बड़ा देश है. और निरक्षर भी काफी हैं. @fb

(लेखक इंडिया टुडे के पूर्व प्रबंध संपादक हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.