सर्वे का सच और विज्ञापनों का भ्रम

रमेश यादव

2014 के लोकसभा चुनाव पर केन्द्रित ताज़ा चुनावी सर्वे जिस अंदाज में बीजेपी की बढ़त दिखायी है। इससे लगता है कि सर्वे की दुनिया में एक बड़ा खेल,खेला जा रहा है। यहाँ मामला किसी सर्वे एजेंसी तक सीमित नहीं है,एजेंसी के मुँह से क्या बुलवाया जा रहा है,इस पर सोचने की बात है ।

इस तरह के सर्वे सच साबित नहीं हो रहे हैं,लिहाज़ा इसपर रोक लगनी चाहिए। सर्वे को आधार बनाकर मुख्यधारा का मीडिया प्रकाशित/प्रचारित करता हैं ।

इस तरह की ख़बरों को आधार बनाकर मीडिया बड़े पैमाने पर विज्ञापन का खेल,खेलता रहा है।

सर्वे आधारित ख़बरें जनता को भ्रमित करती हैं। इसके लिए राजनैतिक पार्टियाँ बड़े पैमाने पर मीडिया का सहारा लेती हैं। यहीं कारण है कि विज्ञापनों पर सत्ताधारी पार्टियाँ अकूत धन ख़र्चा कर रही हैं।

(स्रोत- एफबी)

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