अमित शाह, आजतक पर विज्ञापन की शक्ल में अब तक कौन पैसे उड़ाता आया है- AAP या BJP ?

अमित शाह आजतक पर विज्ञापन की शक्ल में अब तक कौन पैसे उड़ाता आया है- आप या बीजेपी ?
अमित शाह आजतक पर विज्ञापन की शक्ल में अब तक कौन पैसे उड़ाता आया है- आप या बीजेपी ?

संदर्भ : आजतक चैनल ने AAP को जिताने का ठेका लिया है – अमित शाह

अमित शाह आजतक पर विज्ञापन की शक्ल में अब तक कौन पैसे उड़ाता आया है- आप या बीजेपी ?
अमित शाह आजतक पर विज्ञापन की शक्ल में अब तक कौन पैसे उड़ाता आया है- आप या बीजेपी ?

आजतक चैनल पर बीजेपी के आउटपुट हेड अमित शाह का लगाया गया ये आरोप कि इस चैनल ने आप को जिताने का ठेका लिया हुआ है,दरअसल ये आरोप आजतक की अमित शाह की ओर से की गयी ब्रांड पोजिशनिंग का हिस्सा है. अमित शाह से ये सवाल पूछा जाना चाहिए कि आजतक पर विज्ञापन की शक्ल में अब तक कौन पैसे उड़ाता आया है- आप या बीजेपी ?…और मीडिया के धंधे में लगे मालिक अरुण पुरी को आप इतने मासूम समझते हैं कि जो सबसे बड़ा राजनीतिक आसामी है,उसी की खेल खराब करेंगे?

आप अमित शाह से ये भी पूछें कि अगर हम आजतक देखना बंद कर दें तो स्वच्छ भारत से लेकर जान धन योजना की आड़ में जो अच्छे दिन दिखाए जा रहे हैं, उसे कैसे देख पाएंगें..

असल में, अमित शाह ऐसा बोलकर आजतक को रामप्यारी चैनल बताना चाहते हैं. आप में से जिन लोगों को यूपी-बिहार की ट्रेनों में सफ़र का अनुभव रहा हो, बेहतर समझ सकते हैं कि सबसे रद्दी,सबसे घटिया,नाली में बहा दो पर मुंह से न लगाओ की हांक लगाकर बेचीं जानेवाली रामप्यारी चाय का क्या मतलब होता है? डीप टी से चट चुकी पब्लिक के लिये एक विकल्प की दुकानदारी.

न्यूज़ चैनलों के धंधे में भी इन दिनों ऐसा ही हुआ है..इंडिया टीवी से लेकर ज़ी न्यूज़ धरना फ्री प्रधानसेवक की इतनी डीप टी बना चुके हैं कि खुद भक्त भी एक हद तक चट चुके हैं..ऐसे में शाह का इस तरह से बोलना और आजतक का खबर की शक्ल में शामिल करना,ख़बरों की रामप्यारी बनाना है.

आम आदमी पार्टी के लोग चाहें तो इसकी व्याख्या इस तरह से भी कर सकते हैं कि आजतक एक ऐसा चैनल है जिसके धंधे का सीधा फार्मूला है-जिधर लस,उधर चूतड..अर्थात जहाँ उसे सम्भावना दिखती है,वहीँ दौड़ लगाता है. नहीं तो आने दीजिए दिल्ली विधानसभा को और नज़दीक,देखियेगा कैसे यही चैनल चड्डी फाड़कर कैसे कमल खिलाता है.‪#‎मीडियामंडी‬

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