विनोद दुआ साहब आपके रंग निराले !

vinod dua vetern journalist
विनोद दुआ

देश जल रहा था. कैमरे टूट रहे थे. दिल्ली की सड़कों पर आंदोलन की शक्ल में लोग थे, जिनपर डंडे बरस रहे थे.

उधर विनोद दुआ, नीता अम्बानी के साथ ‘माय स्कूल कैम्पेन’ कर रहे थे.

अदभूत नज़ारा था.

दुआ साहब आप क्या हैं, समझ से परे .

पहले आपको पत्रकार समझा तो आपने ब्रॉडकास्टर डिक्लियर कर दिया.

ब्रॉडकास्टर समझा तो खानसामा बन गए और जब खानसामा समझा तो जी हजूरी ….आपके रंग निराले.

कुछ तो बताइए इशारे – ईशारे में ही.

नहीं बताएँगे. राज को राज ही रहने देंगे.

बहरहाल उन्होंने तो कुछ बताया नहीं लेकिन उन्हीं के अंदाज़ में ईशारों ही इशारों में गाने के साथ आपको छोड़े जाते हैं जिसे पत्रकार, ब्रॉडकास्टर, खानसामा, जी …… विनोद दुआ साहब ने गाया है. यह गाना उन्होंने जनसत्ता के संपादक ओम थानवी की महफ़िल में गाया.

(एक दर्शक की नज़र से)

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