ज़ी न्यूज़ के रोहित सरदाना,जेएनयू,दोगलापन !

जी न्यूज की भाषा तो लाइन पर आ जाएगी लेकिन आपकी ?
जी न्यूज की भाषा तो लाइन पर आ जाएगी लेकिन आपकी ?

उमर खालिद और अनिर्बन खालिद की छह महीने की अंतरिम जमानत की खबर आते ही मैंने सबसे पहले जी न्यूज की वेबसाइट पर जाना जरूरी समझा. ये कन्हैया का जेल से छूटकर जेएनयू से लाइव भाषण का मामला तो था नहीं कि टीआरपी की चिंता किए बगैर जहां बाकी के चैनल सीधे लाइव काट रहे हों, वहां ये चैनल भरत कुमार और मेरे देश की धरती गाने को लेकर रमा रह जाए. जी न्यूज की इस वक्त की सबसे बड़ी टॉप खबर में उमर और अनिर्बन की जमानत ही है.

खैर मैंने जी न्यूज की भाषा पर गौर किया. एक लाइन भी अनर्गल नहीं लिखा है इस खबर को लेकर और न ही चैनल की तरह नसीहतें देने की कोई अतिरिक्त कोशिश की गई है. लिहाजा रिपोर्ट पढ़ते ही आपको अंदाजा लग जाएगा कि अब इस नेटवर्क के पास इतनी ताकत बची नहीं है कि लोगों को राष्ट्रवाद के नाम पर बेवजह भड़काने का काम करे जो कि अच्छा और जरूरी भी है. हम उम्मीद करते हैं कि चैनल, प्राइम टाइम और डीएनए भी कोर्ट के इस फैसले को नैतिक पराजय के तौर पर ही लेगा और राष्ट्रभक्ति के नाम पर तेजी से पनप रहे गाली संप्रदाय को बढ़ने से रोकेगा.

ROHIT SARDANA KHALIDरिपोर्ट की पूरी वाक्य संरचना और शब्द प्रयोग से सहज ही अंदाजा लग जा रहा है कि जी नेटवर्क जेएनयू प्रकरण में पूरी तरह बैकफुट पर आ गया है. न्यूजरूम के अंदरखाने में कोई अलग से खुराफात चल रही हो तो मुझे इसकी जानकारी नहीं लेकिन हम शब्दों से गुजरकर महसूस करनेवाले लोग तो फिलहाल यही महसूस कर पा रहे हैं कि इस नेटवर्क पर दांव उल्टा पड़ गया है और जिस फैसले से वो देश में कट्टरता का माहौल पैदा करने के लिए तैयार था, वो फैसला टीवी की रिपोर्ट के आधार पर नहीं, सबूतों और न्यायिक विवेक के आधार पर लिया गया है.

ऐसे समय में मुझे लोकसभा में दिया गया शरद यादव का बयान याद आ रहा है जिसे कि उन्होंने अर्णब गोस्वामी जैसे मीडियाकर्मी और टाइम्स नाउ जैसे चैनल को ध्यान में रखते हुए दिया था- आपको क्या लगता है, ये देश टीवी से चल रहा है, इस देश को टीवी से मुक्त कराओ. ये देश संसद से चलेगा.

लेकिन इन सबके बीच भी जी न्यूज, टाइम्स नाउ और इंडिया न्यूज जैसे चैनलों ने बहुत कुछ ऐसा तहस-नहस कर दिया जिसे कि वापस आने में महीनों लग जाएंगे और खुद की भाषा तो वो दो-चार दिन में सुधार भी लेंगे लेकिन जो राष्ट्रभक्ति के नाम पर धुआंधार गालियां देने की आदत आम दर्शकों के बीच डाली है, उसे छूटने में तो वक्त लगेगा ही. हम उम्मीद करते हैं कि रोहित सरदाना को इस प्रकरण को लेकर दोगलापन जैसे शब्दों के प्रयोग से अपने को रोक पाएंगे.

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