संपादक जी, ये क्‍या हो रहा है?

अभिषेक श्रीवास्तव

जनसत्‍ता अखबार और उसके ई-पेपर का रिश्‍ता हमेशा संदिग्‍ध जान पड़ता है। आज फिर एक दिलचस्‍प मामला पकड़ में आया है। आज के पहले पन्‍ने की इस ई-पेपर तस्‍वीर में सबसे नीचे वाली खबर पर जहां कालिख पोती हुई है, वहां अखबार में विवेक सक्‍सेना की बाइलाइन से छपा है, ”भारतीयों को अपमानित करना अमेरिका की पुरानी आदत”। भारतीय राजनयिक वाले मामले पर इस खबर के अलावा एक संपादकीय भी छपा है, ”कार्रवाई की मर्यादा”। दिलचस्‍प है कि संपादकीय की वैचारिक लाइन रिपोर्ट की लाइन से ठीक उलट है। क्‍या सिर्फ इसी वजह से रिपोर्ट को काला कर दिया गया?

हो सकता है यह संयोग भी हो, लेकिन पहले पन्‍ने की ख़बर का बाकी हिस्‍सा अखबार में जहां पेज नंबर 8 पर है, वहीं ई-पेपर में पेज नंबर आठ सिरे से गायब है। उसे डाउनलोड करने पर पेज नंबर 7 डाउनलोड हो रहा है और अगला पन्‍ना 9 नंबर है।

संपादक जी, ये क्‍या हो रहा है? (स्रोत-एफबी)

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