भोपाल में मीडिया विशेषज्ञों की चौपाल

विज्ञान, विकास और मीडिया विशेषज्ञों की चौपाल भोपाल में, संबंधों को पुख्ता करने और मीडिया को विकासोन्मुखी करने का उपाय ढूढेंगे विशेषज्ञ

मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की पहल और स्पंदन संस्था के सहयोग से मीडिया और विज्ञान के रिश्तों को पुख्ता करने की शुरुआत हो चुकी है. पिछले साल आयोजित मीडिया चौपाल -२०१२ में नये मीडिया के साथ मीडिया के विविध रूपों, अवसर और चुनौतियों की चर्चा हुई थी. तभी यह तय किया गया कि इस मीडिया जुटान को एक सिलसिले का रूप दिया जाए. वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों और संचारकों का गठजोड जरूरी है. यह न सिर्फ आम लोगों के सशक्तिकरण के लिये जरूरी है, बल्कि भारतीय समाज को ज्ञान आधारित बनाने के लिये भी.

गत कई दशकों में मीडिया के अन्य रूपों का जिस तेजी से विकास हुआ है, उससे कई गुना तेजी से नए मीडिया अर्थात इंटनेट मीडिया का विकास हुआ है. इस मीडिया ने एक नई दुनिया इजाद की है जिसे साईबर वर्ल्ड और यहाँ के लोगों के नेटीजन कहा जाने लगा है. एक तरफ मीडिया के कारण दुनिया गाँव बन गई तो दूसरी ओर नई दुनिया का निर्माण हो रहा है. वर्ल्ड में साइबर वर्ल्ड और लोगों के बीच नेटीजन मीडिया की नई प्रवृत्ति है. एक वास्तविक दुनिया तो दूसरी आभासी दुनिया. इस नई प्रवृत्ति से आप-हम अलग-थलग रह सकते हैं, लेकिन उससे बच नहीं सकते.

जब मीडिया से बचना मुश्किल है. आभासी दुनिया का विस्तार दिनोंदिन बढाता ही जा रहा है, तकनीक आवश्यकता बन गयी तो लोगों के लिये तकनीक और मीडिया साक्षरता और विशेषज्ञता जरूरी है. इसके लाभ-हानि, सृजन-विध्वंस और गुण-दोष को जानना भी जरूरी है. दरअसल मीडिया चौपाल का सिलसिला भी इसीलिये है. इस साल 14-15 सितम्बर को आयोजित चौपाल में नए-पुराने मीडिया के संचारक चाहे वे ब्लॉगर्स हैं, वेब संचालक हैं, स्तंभ लेखक हैं या फीचर लेखक सब इकट्ठा हो रहे हैं. उददेश्य भी यही है कि मीडिया कि विविध रूपों के बीच तालमेल बढ़ाया जाए. मीडिया को लोकहितकारी बनाया जाए. इसीलिये मीडिया चौपाल के विभिन्न सत्रों में नया मीडिया, नई चुनौतियां (तथ्य, कथ्य और भाषा के विशेष सन्दर्भ में), जन-माध्यमों का अंतर्संबंध और नया मीडिया, विकास कार्य-क्षेत्र और मीडिया अभिसरण (कन्वर्जेंस) की रूपरेखा, आपदा प्रबंधन और नया मीडिया, और आमजन में वैज्ञानिक दृष्टि का विकास और जनमाध्यम विषय पर में संचार के विद्यार्थी, शिक्षक, संचारक और वैज्ञानिक एक साथ, एक मंच पर विचार करेंगे.

सूचनाएं और माध्यम जिस तादाद में बढ़ रहे हैं उस तादाद में उपयोगकर्ता नहीं बढ़ रहे. सूचनाएँ कुछ ही लोगों तक उमड़-घुमड़ रही हैं. मीडिया का दायरा बढ़ना चाहिए, लोगों के लिये मीडिया अबाध हो. जन-जन तक मीडिया की पहुँच सुलभ हो. जन-जन तक संचार हो. यह भी विचार का विषय है. मीडिया और संचार आमलोगों के लिये समस्या के समाधान का उपकरण बने न कि बाधा और नई समस्या पैदा करने वाला. मीडिया का नया रूप भले ही लाख चुनौतियों से जूझे, लेकिन यह लोगों के लिये चुनौती न बने, अवसर बने. नया मीडिया रोजगार देने वाला बने, रोजगार लीलने वाला नहीं. मीडिया में राजनीति, सिनेमा और अपराध मुद्दा भले ही रहे, लेकिन विकास और विज्ञान को भी उसकी जगह मिले. लोग जो देखना-सुनना और पढन चाहें, मीडिया वो तो परोसे ही, लेकिन लोगों के लिये जको जरूरी हो मीडिया उसे देने की भी गुन्जाईश तलाशे.

मीडिया चौपाल के उदघाटन में मध्यप्रदेश शासन के प्रमुख सचिव और साहित्यकार मनोज श्रीवास्तव, मध्यप्रदेश शासन के वैज्ञानिक सलाहकार और मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक प्रो. प्रमोद वर्मा, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला, राष्ट्रीय एकता समिति के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार गिरीश उपाध्याय, वेब दुनिया के संपादक जयदीप कार्णिक, वरिष्ठ वैज्ञानिक ड़ा. मनोज पटेरिया, लेखिका कायनात काजी, भड़ास के यशवंत सिंह, विस्फोट के संजय तिवारी, मीडिया खबर के पुष्कर पुष्प, द संडे इंडियन के अनिल पाण्डेय, जिया टीवी की मुक्ता पाठक, पत्रकार अलका सिंह, प्रवक्ता के संजीव सिन्हा आदि होंगे, जबकि दूसरे दिन वरिष्ठ वैज्ञानिक ड़ा. सुबोध मोहन्ती, भारतीय जनसंचार संस्थान के पत्रकारिता विभागाध्यक्ष प्रो. हेमंत जोशी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-संपर्क प्रमुख राममाधव रहेंगे.

अनिल सौमित्र

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