मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडवणीस से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए भी वेज बोर्ड गठन की माँग

मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडवणीस से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए भी वेज बोर्ड गठन की माँग
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडवणीस से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए भी वेज बोर्ड गठन की माँग

मुख्यमंत्री के दरबार में वेज “वेज बोर्ड” के गठन करने की माँग

मुंबई, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडवणीस से प्रिंट मीडिया की तर्ज पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी एक वेज बोर्ड के गठन की माँग की गई है। मुंबई मराठी पत्रकार संघ के उपाध्यक्ष एवं टीवी जर्नलिस्ट एसोसिएशन के सदस्य शशिकांत सांडभोर ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडवणीस से लिखित रूप से माँग की है.

पत्रकारों का आर्थिक शोषण रोकने के लिए जिस तरह से प्रिंट मीडिया में मजीठिया वेज बोर्ड का गठन किया गया है, वैसे ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी एक “वेज बोर्ड” का गठन किया जाये।

शशिकांत सांडभोर, उपाध्यक्ष,मुंबई मराठी पत्रकार संघ
शशिकांत सांडभोर, उपाध्यक्ष,मुंबई मराठी पत्रकार संघ
शशिकांत सांडभोर का कहना है कि महाराष्ट्र में कोली समाज के लिए भी एक बोर्ड है ऐसे ही कामगारों के लिए भी मथाड़ी बोर्ड का काम कर रहा है। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों को मालिकों के आर्थिक शोषण से मुक्ति दिलाने के पूरे देश में एक बोर्ड का गठन करना नितांत आवश्यक है।

देश में जिस तेजी से न्यूज चैनलों की बाढ़ आ रही है उसी तेजी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों पर नौकरी के लिए खतरों के बादल मंडराते रहते हैं। जब से चिंट फंड कंपनियां चिट्ट-पट्ट करके मीडिया के बाज़ार में उतर गई हैं तब से पत्रकारों के जीवन में खतरे की घंटी बज चुकी है। चारो तरफ से पत्रकार अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। आज के इस अर्थ युग में पत्रकारों के ऊपर आर्थिक शोषण दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। सीनियर पत्रकारों तक को इंटर्नशिप जैसा व्यवहार किया जा रहा है। चिट फंड कंपनियों के मालिक के मैनेजर टाइप संपादक एक – दो महीना तक तो फ्री में काम कराते हैं। आश्वासन की घूंटी पिलाते हैं कि अभी आपका लेटर बन रहा है। इन कंपनियों के पढ़े लिखे एच. आर की टीम और मधुर वाणी में महारात हासिल कर चुके संपादक के कहने पर पत्रकार काम करना शुरु कर देते हैं फिर चलता है पेपरबाजी का खेल। इस खेल को संपन्न होते होते दो तीन महीना गुजर जाता है। फिर जब वेतन मिलता है तो एक दो महीने की सैलरी काट कर बाकी की सैलरी देना शुरु कर दिया जाता है। यही तकनीक है पढ़े लिखे लोगों के कम बजट में काम कराने का तरीका। इस तरीके पर पीएचडी प्राप्त व्यक्ति जहां कहीं भी देखो ब्रह्म ज्ञान उड़लेते हुए मिल जायेगा। अतः मुख्यमंत्री से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों को आर्थिक आज़ादी एवं उनके संरक्षण के लिए वर्तमान हालात को देखते हुए एक “वेज बोर्ड” के गठन करने की मांग करना आवश्यक है।

मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडवणीस से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए भी वेज बोर्ड गठन की माँग
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