हां-हां, गलती राजदीप की थी भक्तगणों, तो….और क्या-क्या करना है राजदीप के साथ??

rajdeep sardesai madison square attack

राजदीप सरदेसाई के साथ मैडिसन स्क्वायर में हाथापाई : एक पत्रकार को भक्तगण भूखे भेड़ियों की तरह घेर लेंगे. उन्हें पता नहीं क्या-क्या कहेंगे (जो वीडियो में नहीं दिखाई-सुनाई दे रहा है, बहस काफी देर से हो रही है). फिर हूटिंग करेंगे. पत्रकार की बखिया उधेड़ेंगे, उसे भला-बुरा कहेंगे, उसकी पैंट उतारेंगे और उसके जीवनभर की कमाई को ये कहके दांव पर लगा देंगे कि तुम तो पक्षपाती हो.

अगर नहीं हो, मेरे आराध्य, मेरे देव के बारे में सवाल मत पूछो. ऐसा मत बोलो. वैसा मत बोलो. देख नहीं रहे, कितनी भीड़ जमा है? तुम्हें सच नहीं दिखता क्या? कैसे पत्रकार हो यार? पक्षपाती कहीं के. हमारे आराध्य सबकुछ बदलकर रख देंगे. तुम अपना विश्लेषण और अपना Objective point of view अपने पास रखो. ये ज्ञान हिन्दुस्तान में अपने चैनल के स्टूडियो में बैठकर बघारना. यहां नहीं. यहां हम हैं. हमारे आराध्य के बारे में एक सवाल भी हमें गंवारा नहीं.

चलिए, भारतीय संस्कृति की दुहाई देने वालों के अल्पज्ञान पर क्या रोष जताना और क्या गम गीला करना!! जो आज तक ये नहीं समझ पाए कि मर्यादापुरुषोत्तम राम ने एक मामूली धोबी के कथन पर अपने जीवन का इतना बड़ा फैसला लिया कि अपनी पत्नी को अकेले वनवास को भेज दिया. राम राजा थे. सबके प्यारे थे. चाहते तो धोबी को कठोर से कठोर दंड देते. ऐसा दंड कि फिर कभी कोई माता सीता के बारे में ऐसे शब्द बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता.

लेकिन भगवान राम सहनशील थे. प्रजा की आलोचना और उनके कटु वचनों को भी वो सीने से लगाने का माद्दा रखते थे. एक आम धोबी की बात को उन्होंने इतनी गंभीरता से लिया कि उनके जीवन की पूरी कहानी ही बदल गई.

लेकिन यहां भक्तगण अपने आराध्य के बारे में कुछ कटु नहीं सुनना चाहते. शांति से उसका जवाब नहीं देना चाहते. वे पत्रकार को भीड़ में एक जोकर और एक तमाशाई बना देना चाहते हैं. उसके आत्मसम्मान को अंदर तक भेद देना चाहते हैं. वे पत्रकार से भिड़ जाएंगे लेकिन संयम नहीं बरतेंगे.

पत्रकार से अपेक्षा ये है कि वो उनकी गालियों को सुनकर, अपमान का घूूंट पीकर, हूटिंग को बर्दाश्त करके चुपचाप वहां से कट ले. उन्हें जवाब ना दे. उनका प्रतिकार ना करे. और ये अपेक्षा भी कि पत्रकार, इंसान नहीं होते. उनमें भावनाएं नहीं होतीं.सिर्फ आपमें और हममें होती हैं.

वाह रे लोकतंत्र. वाह रे लॉजिक. वाह रे प्रोपगंडा. वाह रे भक्तगणों.!!!!

1 COMMENT

  1. haaji ye Nadeem Akhtar saheb aur Rajdeep Sardesai hi to sahi aur nishpaksh khabrein banate hain…..shriman ji jab mirchi jhonki jayegi to haath to apne bhi jalenge hi naa….to agar patrakar saheb gaali dein to wo khabar dikha rhe hain…aur agar badle mein gali hi khayein to paublic Modi samarthak ho gayi? Ek aur baat aise ghatiya logo’n ko agli baar dekh ki izzat ucchhalne se pahle sochna chahiye ki wo kahaan par hain aur kya harkat kar rhe hain!!

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