टाइम्स ऑफ इंडिया ने खोली मोदी के दावों की पोल

नदीम एस अख्तर

नदीम एस अख्तर
नदीम एस अख्तर
महंगाई कम करने का दावा करने वाली नरेंद्र मोदी सरकार के -विकास काल- में दिल्ली में सब्जियों और फलों के दाम 100 फीसदी तक बढ़ गए हैं. जाड़े में होने वाली मौसमी सब्जियों के दाम भी आसमान छू रहे हैं. आज टाइम्स ऑफ इंडिया (दिल्ली एडिशन) के फ्रंट पेज पर ये खबर है.

आम आदमी परेशान और बेहाल है. लेकिन फिक्र किसे हैं ??!! ये दुखद है कि अच्छे दिन का दावा करने वाले पीएम मोदी अभी तक फलों-सब्जियों की कीमत को नियंत्रित करने का (कम से कम दिल्ली में ही, जहां अब तक उपराज्यपाल के माध्यम से सीधे उन्हीं का राज चल रहा है) कोई सिस्टम डिवेलप नहीं कर पाए हैं. लेकिन बीजेपी और खुद पीएम मोदी बड़ी बेशर्मी से अपने चुनावी पोस्टरों में ये दावा कर रहे हैं कि हमने महंगाई घटा दी.

अजीब मजाक है इस देश के आम आदमी के साथ. आप घाव पर महरम लगाने की बजाय उसे लगातार कुरेद रहे हैं और कह रहे हैं कि घाव ठीक हो रहा है. ऐसे ही एक बयान बहादुर कृषि मंत्री यूपीए काल में थे- शरद पवार, जो इतने निर्लज्ज थे कि आज बयान देते थे और अगले ही दिन उस चीज के दाम बढ़ जाते थे. पवार पहले कहते थे कि देश में गन्ने की खेती खराब हुई है और फिर तुरंत चीनी के दाम बढ़ जाते थे. और उस समय के मौन-मोहन पीएम चुपचाप ये लूट-खसोट देखते रहते थे.

जनता ने मौन-मोहन और उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में औकात तो बता दी लेकिन प्रचंड बहुमत से केंद्र की सत्ता में आए नरेंद्र मोदी ये बात आज तक नहीं समझ पाए हैं. हुजूर, अगर पब्लिक का दर्द दूर नहीं कर पा रहे हैं, तो ईमानदारी से अपनी विफलता कुबूल कीजिए, माफी मांगिए और कहिए कि ईमानदारी से पूरी मेहनत करूंगा और एक महीने के अंदर कृत्रिम तरीके से मुनाफाखोरी के लिए बढ़ाए गए इन दामों को कम कर दूंगा. और अगर गाल बजाते रहेंगे कि हमने महंगाई कम कर दी है तो पब्लिक तो औकात बताएगी ही ना आपको. संयोग से दिल्ली विधानसभा का चुनाव बस होने को है और ये यूं ही नहीं है कि पीएम मोदी समेत पूरी बीजेपी के पांव थर-थर कांप रहे हैं. हार का खतरा मंडरा रहा है.

वादे हैं वायदों का क्या !! अगर इसी सोच के साथ राजनीति करनी है तो पांच साल भी आपके लिए ज्यादा है मोदी जी ! अभी तो एक साल भी नहीं हुए हैं और जनता आपको बोल-वचनों से ऊब गई है. उनका भ्रम टूटने लगा है.

आप 24 घंटे में कितने घंटे काम करते हैं और कितने घंटे सोते हैं, ये बात पब्लिक डोमेन में बताने से कोई फर्क नहीं पड़ता. आपका काम जमीन पर भी दिखना चाहिए, जनता का भला होना चाहिए. उनके कष्ट दूर होने चाहिए. और आज के काल में जनता किसी भी पार्टी की Loyal supporter नहीं रह गई है (कुछ प्रतिशत ही होंगे जो अंधभक्त होते हैं). बाकी वाले तो आपको तौलते हैं, जांचते हैं, परखते हैं और अगर काम के ना निकले तो तुरंत रिजेक्ट भी करते हैं.

ये पब्लिक है पब्लिक !! ये सब जानती है मित्तरों !!!!!!!!

@fb

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.