राष्ट्रीय सहारा देहरादून में स्थानीय संपादक से ताकतवर पूर्व ब्यूरो प्रभारी

अज्ञात कुमार

राष्ट्रीय सहारा देहरादून में बताया जा रहा है कि एलएन शीतल के बाद देहरादून राष्ट्रीय सहारा के स्थानीय संपादक बने दिलीप कुमार चौबे पूर्व ब्यूरो इंचार्ज अमरनाथ सिंह के नियंत्रण में हैं। वह वही फैसले ले रहे हैं जो अमरनाथ सिंह की इच्छा है। अमरनाथ सुबह से शाम तक नए स्थानीय संपादक के केबिन या घर में साथ बतियाते नजर आता है। उनके साथ उनकी कार में ही घूमते रहता हैं । दफ्तर में प्रतिबंध को ठेंगा दिखाते हुए पान चबाता रहता है और घोषणा करता रहता है कि उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

पिछले दिनो हुए स्ट्रिंगरों के टेस्ट के बाद से ही अमरनाथ यह प्रचार कर रहे थे कि एक भी स्ट्रिंगर पास नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार स्ट्रिंगरों के टेस्ट के बाद अमरनाथ ने नौएडा में देहरादून में भारी नकल की शिकायत की थी। अब नतीजे आए तो वही हुआ जो अमरनाथ कह रहे थे। अमरनाथ का संपादक पर कितना कड़ा शिकंजा है कि पुराने रिपोर्टर अर्जुन सिंह बिष्ट को अमरनाथ की ही सलाह पर सिटी रिपोर्टिंग से हटाकर कोआर्डिनेशन डेस्क पर बिठा दिया गया। विक्रम रावत को सिटी डेस्क पर, गुणानंद जखमोला को गढ़वाल , त्रिलोचन भट्ट को कुमाऊं व परमवीर कौशिक को हरिद्वार डेस्क पर, सुशील कुमार सिंह को कोआर्डिनेशन डेस्क पर अमरनाथ की सलाह पर ही बिठाया गया है। बताया जाता है कि अब अमरनाथ की सलाह पर ही बाराणसी से सुधीर कुमार सिंह को देहरादून बुला लिया गया है। बताते हैं कि अब अमरनाथ की सलाह पर सिटी ब्यूरो चीफ भुपेंदर सिंह कंडारी और स्टेट ब्यूरो के एक या दो लोग अमरनाथ के निशाने पर हैं। इसके पीछे आगामी लोकसभा चुनाव को कारण बताया जा रहा है। आम चुनाव से पहले अमरनाथ किसी भी तरह स्टेट ब्यूरो व सिटी की कमान सीधे अपने हाथ में लेना चाहते हैं ताकी २०१४ के लोकसभा चुनाव में लाभ अर्जित किया जा सके। यह बात अलग है कि अमरनाथ ने राष्ट्रीय सहारा से पहले किसी भी बड़े दैनिक अखबार में काम नहीं किया है लेकिन सहारा में उन्हें सीधो ब्यूरो इंचार्ज बना दिया गया। चर्चा है कि अमरनाथ को भाजपा और कांग्रेस के कुछ नेताआें से मासिक धनराशि मिलती है और वह उनसे जुड़ी खबरें लिखने के लिए लालायित रहता है। वर्तमान ब्यूरो इंचार्ज जितेंद्र नेगी भी एक तरह से अमरनाथ के निर्देशों का ही पालन करते हैं। राष्ट्रीय सहारा देहरादून में आज वही फोटो या खबर छपता है जिसे अमरनाथ आेके करता है। अमरनाथ और उसकी पत्नी ममता सिंह खुद को सहारा के राष्ट्रीय सहारा के समूह संपादक रणविजय सिंह का करीबी और रिश्तेदार बताते हैं और हर किसी पर इसकी धौंसपट्टी जमाते हैं। वह यह भी दावा करते हैं कि राजेश श्रीनेत और एलएन शीतल को उन्होंने ही हटाया है। और वह किसी को भी संपादक बनाने या हटाने की ताकत रखते हैं। अमरनाथ अखबार के कार ड्राइवरों, चपरासियों आदि को पैसा देकर संपादकों की जासूसी भी करवाते रहे हैं। इसी कारण एलएन शीतल ने कई ड्राइवरों को हटवाया था ।

सहारा में अनूप गैरोला, विमल जेतली आदि हाल में जितने अनुभवी लोग हटाए गए वे सारे लंबे समय से अमरनाथ के निशाने पर थे। बात—बात पर झगड़ा करने पर उतारू अमरनाथ दफ्तर में भी उन्हें गोली मार देने या निकाल बाहर कर देने की बाते ंबड़बड़ाते रहते थे अंतत: हुआ भी वही। जिन दिनेश शा ीजी की बदौलत गढ़वाल संस्करण परवान चढ़ा अमरनाथ से दुश्मनी के कारण उन्हें कानपुर स्थानांतरित कर दिया गया।

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