आर के लक्ष्मण, रेखा के भीतर रहकर भी रेखा के बाहर मार करते थे

आर के लक्ष्मण, रेखा के भीतर रहकर भी रेखा के बाहर मार करते थे
आर के लक्ष्मण, रेखा के भीतर रहकर भी रेखा के बाहर मार करते थे

दीपक शर्मा @fb

आर के लक्ष्मण, रेखा के भीतर रहकर भी रेखा के बाहर मार करते थे
आर के लक्ष्मण, रेखा के भीतर रहकर भी रेखा के बाहर मार करते थे

सुबह स्कूल जाने से पहले एक बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया ज़रूर देख लेते थे. अखबार उठाते ही नज़र सबसे पहले लक्ष्मण साहब के कार्टून पर जाती थी. स्कूल की कच्ची उम्र में टाइम्स से रिश्ता ही कार्टून या खेल की खबर को लेकर था.

ये कार्टून कालेज जाते जाते हमे बहुत कुछ बता गये थे.

देश के ज्यादातर नेता भ्रष्ट होते हैं और आम आदमी से छल करते हैं, इस सच को सबसे पहले हमने लक्ष्मण के “कॉमन मैन” से ही जाना. लक्ष्मण के 10 में से 9 कार्टून इसी कॉमन मैन या गरीब आदमी के दर्द और दुश्वारियां बयान करते थे.

लक्ष्मण उन चंद पत्रकारों में थे जिन्होंने अपनी पेंसिल से देश के गरीब की लड़ाई लड़ी. माध्यम भले ही जो हो पर उन्होंने अखबार के एक छोटे कोने से ही अपनी बात असरदार ढंग से कही थी. कई बार उनके गहरे तंज से रंगे कार्टून इंदिरा गाँधी और टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मालिकों के बीच एक लकीर खींच गये. इसके कई किस्से आप कुलदीप नय्यर जैसों से आज भी सुन सकते हैं.

लक्ष्मण , रेखा के भीतर रहकर भी रेखा के बाहर मार करते थे.

मेरे जैसे छोटे पत्रकार को किसी लक्ष्मण के लिए और ज्यादा नही बोलना चाहिए. पर उनके दिवंगत होने पर फिर भी ये बोलूँगा कि हर अखबार में आज एक लक्ष्मण की ज़रुरत है. आज अख़बार में लाएजनर तो है पर लक्ष्मण नही.

(लाएजनर : संपर्क साधने वाला. पत्रकारिता की भाषा में सरकार से काम कराने वाला पत्रकार )

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