पत्रकारों के पैकेज से नेताओं को लगता है डर

पेड न्यूज के जाल में भारतीय मीडिया,संपादक मतलब खबरों का एजेंट
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चुनावों में किस तरह से ख़बरों की खरीद-फरोख्त होती है ये किसी से छुपा नहीं है.पंजाब के बाद उत्तरप्रदेश चुनावों में भी यही हो रहा है.हाल ये है कि पेड न्यूज़ को पोषित करने वाले नेता भी अब पेड न्यूज़ से डरने लगे हैं. इसी संदर्भ में पत्रकार नरेश वत्स ने एक दिलचस्प वाकया शेयर किया है जिसे आपके साथ साया कर रहे हैं –

मित्रो, नमस्कार मैं आप लोगो के साथ रिपोर्टिग करते समय हआ एक वाकया सांझा करना चाहता हूं । ये मेरे पेशे से जुड़ा हुआ है ।” कॉरेस्पोडेंट टीवी” पंजाब में चुनावों की कवरेज करने के बाद उत्तरप्रदेश के सियासत के दंगल को कवर कर रहे है । चौथे चरण में होने वाले मतदान की कवरेज के लिए इलाहाबाद में है । लेकिन 16 फरवरी को मैं अपनी टीम के साथ हरदोई में था । समाजवादी पार्टी के महासचिव नरेश अग्रवाल से बातचीत करने के बाद गोपामऊ विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार श्याम प्रकाश से बातचीत करने के लिए उनके घर पर गया था । मैने अपने सहयोगी कैमरामेन सौरभ को घर के बाहर के शॉटस बनाने को कह दिया और श्याम प्रकाश जी से बातचीत करने लगा । एक व्यक्ति ने आकर उनको सूचना दी की टीवी वाले तस्वीरें ले रहे है । श्याम प्रकाश जी ने कहा कि उनको तस्वीर बनाने से रोको वो फिर हमसे पैसा मांगेगे । ये शब्द सुनते मैं असहज हो गया मैने उनको कहा कि मैं आपसे बातचीत करने आया हूं । पैसे लेने नही आया हूं । इस पर उन्होंने कहा कि हम पत्रकारों से दुखी हो गए है । सुबह से ही पत्रकार पैकेज मांगने आ जाते है । कोई अपने आपको कानपुर से बताता है । कोई लखनऊ से पत्रकारों को लेकर ऐसी धारणा बन चुकी है । इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इस छवि को बदला कैसे जाए । आपकी राय का स्वागत है।
मै अपनी बात करने से पहले एक शायर का ये शेर कहना चाहता हूं।
आवामी गीत है मेरे मेरी बारी गुलुकारी
मुझे क्या दाद देगा वो जो सुने रागदरबारी
जयहिंद

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