सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक बर्बरता का महाख्यान

जगदीश्वर चतुर्वेदी

स्टेट्स1

सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक बर्बरता का महाख्यान चल रहा है। जिस तरह आईएसआईएस की पोस्ट अबाधित रुप में पेश की जा रही हैं, बर्बर संगठनों के पक्ष में निरंतर लिखा जा रहा है। उससे यह संकेत जा रहा है कि सोशल मीडिया के लिए बर्बरता सबसे बड़ी खबर है और राजनीतिक आंदोलन, प्रतिवाद और लोकतांत्रिक संघर्षों का कोई मूल्य नहीं है।

अधिकांश मीडिया, बर्बरता की प्रस्तुतियों में इस कदर व्यस्त है कि उनको जनांदोलनों की किसी खबर या समस्या के कवरेज की कोई चिंता ही नहीं है। यह भी कह सकते हैं कि मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक बर्बरता का नाटक चल रहा है और हम सब उसके मूकदर्शक बन गए हैं।

बर्बरता का जितने बड़े रुप में प्रसारण हो रहा है जनांदोलनों का उतने बड़े रुप में प्रसारण नहीं हो रहा। यानी मीडिया की नजर में बर्बरता प्रासंगिक है,मोहन भागवत के नॉनशेंस बयान,बत्रा पंडित का पोंगापंथ और भगवापंथ की इरेशनल खबरें प्रासंगिक हैं, लेकिन अन्य लोकतांत्रिक खबरें और लोकतांत्रिक-धर्मनिरपेक्ष विचार प्रासंगिक नहीं हैं।

मीडिया और सोशल मीडिया का यह बर्बरता प्रेम , बर्बरता का मित्र बना रहा है और लोकतंत्र से दूसरी बढ़ा रहा है। बर्बरता प्रेम का ही परिणाम है कि अनंतमूर्ति से लेकर विपनचन्द्र तक की मौत पर बर्बरता प्रेमी खुशी का इजहार कर रहे हैं। इस तरह का बर्बरता प्रेम गुलाम युग में देखा गया था।

स्टेट्स2

सोशलमीडिया -मीडिया कवरेज ने नार्सीसिस्ट भावबोध की सृष्टि की है। इसके कारण मीडिया ने करोड़ों-अरबों का मुनाफा कमाया है। इसने जहां एक ओर परपीड़क आनंद और उसके भोक्ताओं का बर्बर समाज पैदा किया है वहीं दूसरी ओर मूल्याधारित राजनीति को पूरी तरह निम्नस्तर पर उतार दिया है।

मुनाफेखोर मीडियाघराने खुश हैं कि उनकी रेटिंग और मुनाफों में उछाल आया है वहीं दूसरी ओर वे मीडिया -सोशलमीडिया के जरिए लोगों की वधलीला भी कर रहे हैं। आज सोशलमीडिया में किसी के हत्या की तस्वीर लगाइए और खूब कवरेज पाइए। नैतिकता,सभ्यता और भद्रता के जितने ज्यादा परखच्चे उड़ाएंगे उतना ही दावे के साथ ज्यादा मुनाफा कमाएंगे।

(स्रोत-एफबी)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.