मन्दिर था या मस्जिद ?

मन्दिर था या मस्जिद ?
मन्दिर था या मस्जिद ?
मन्दिर था या मस्जिद ?
मन्दिर था या मस्जिद ?

श्रीराम भारतीय राष्ट्रभाव का चरम आनंद हैं, वे मंगल भवन हैं, अमंगलहारी हैं, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं । वे भारतीय मानस के सम्राट हैं, पुराण में हैं, काव्य में हैं, इतिहास में भी हैं।श्रीराम जन्मभूमि राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है। विवादित स्थल (जिसे राजनीतिक कारणों से विवादित बनाया गया ) पर मन्दिर था या मस्जिद ये फैसला मैं आप सबों पर इस अनुरोध के साथ छोड़ता हूँ कि किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के पहले मेरे द्वारा प्रस्तुत निम्नलिखित तथ्यों पर विवेक-पूर्ण विचार अवश्य कर लें :

न्यायालय के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने खुदाई की थी। बहरहाल, रिपोर्ट में ईसा पूर्व 3500 वर्ष से 1000 ईसा पूर्व तक अयोध्या एक बस्ती है। शुंग काल (200-100 ईपू) कुषाण काल (100 ई-300 ई) और गुप्तकाल (400 ई-600 ई) तक यहां बस्तियां हैं, सिक्के हैं, देवी भी हैं। इसके बाद के स्तरों में मंदिरों के अवशेष हैं।

एएसआई रिपोर्ट के अनुसार एक गोलाकार विशाल मंदिर दसवीं सदी में बना। इसके उत्तर में जलाभिषेक का प्रवाह निकालने वाली नाली भी है। फिर एक दूसरा मंदिर है। यहां हिंदू परंपरा का प्रतीक कमल है, वल्लरी हैं। 50 खंभों के आधार मिले हैं। काले पत्थरों के खंभों के अवशेष भी हैं। यह मंदिर लगभग 1500 ईसवी तक रहा।

शेष (आगे) का इतिहास इस्लामी हमलों का है :

सन 1528 में बाबर के सिपहसालार मीरबाकी ने इसी मंदिर को गिराकर बाबरी मस्जिद बनवाई।

आस्टि्रया के टाइफेंथेलर ने लिखा है कि बाबर ने राम मंदिर को ध्वस्त किया और मस्जिद बनाई।

ब्रिटिश सर्वेक्षणकर्ता (1838) मांट गुमरी मार्टिन के मुताबिक मस्जिद में इस्तेमाल स्तंभ राम के महल से लिए गए।

एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका में भी सन 1528 से पूर्व बने एक मंदिर का हवाला है।

एडवर्ड थार्नटन ने लिखा कि बाबरी मस्जिद हिंदू मंदिर के खंभों से बनी।

पी कार्नेगी भी हिस्टारिकल स्केच आफ फैजाबाद, विद द ओल्ड कैपिटल्स अयोध्या एंड फैजाबाद में मंदिर की सामग्री से बाबर द्वारा मस्जिद निर्माण का वर्णन करते हैं।

गजेटियर ऑफ दि प्राविंस आफ अवध में भी यही बातें हैं।

फैजाबाद सेटलमेंट रिपोर्ट भी इन्हीं तथ्यों को सही ठहराती है।

इंपीरियल गजेटियर ऑफ फैजाबाद भी मंदिर की जगह मस्जिद निर्माण के तथ्य बताता है।

बाराबंकी डिस्टि्रकट गजेटियर में जन्मस्थान मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाने का वर्णन है।

मुस्लिम विद्वानों ने भी काफी कुछ लिखा है :

मिर्जा जान कहते हैं, अवध राम के पिता की राजधानी था। जिस स्थान पर मंदिर था वहां बाबर ने एक ऊंची मस्जिद बनाई।

हाजी मोहम्मद हसन कहते हैं, अलहिजरी 923 में राजा राम के महल तथा सीता रसोई को ध्वस्त करके बादशाह के हुक्म पर बनाई गई मस्जिद में दरारें पड़ गई थीं।

शेख मोहम्मद अजमत अली काकोरवी ने तारीखे अवध व मुरक्काए खुसरवी में भी मंदिर की जगह मस्जिद बनाने का किस्सा दर्ज किया।

मौलवी अब्दुल करीम ने गुमगश्ते हालाते अयोध्या अवध (1885) में बताया कि राम के जन्म स्थान व रसोईघर की जगह बाबर ने एक अजीम मस्जिद बनवाई।

इस्लामी हमलावरों और शासकों ने समूचे भारत में मंदिर तोड़ने व मस्जिद बनाने का अभियान चलाया था।

पहले मोहम्मद बिन कासिम (711 ईसवी) फिर महमूद गजनी। महमूद के अधिकृत इतिहासकार उतवी ने लिखा, उसने मूर्तियां-मंदिर तोड़े, इस्लाम की स्थापना की।

कुतुबुद्दीन ने दिल्ली में कूवत-उल-इस्लाम मस्जिद बनाई। इसकी पूर्वी दीवार पर अरबी में लिखा है, 27 मंदिरों को ध्वस्त कर भारत में मस्जिदें बनाई गईं।

अजमेर में ढ़ाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद है। ढ़ाई दिनों में भव्य निर्माण नहीं होते। यह विगृहराज चतुर्थ का बनाया सरस्वती मंदिर है। इसे मस्जिद बनाया गया।

हसन निजामी ने कुतुबुद्दीन की तारीफ में ताज उलमासिर में लिखा विजेता ने इलाके को मूर्ति और मूर्ति पूजा से मुक्त किया, मंदिरों के गर्भगृहों में मस्जिदें बनाई।

आलोक कुमार ,
वरिष्ठ पत्रकार व विश्लेषक ,
पटना .

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.