पत्रकारिता विश्‍वविद्यालय के तीन दिवसीय सत्रारंभ कार्यक्रम का शुभारम्भ

प्रेस विज्ञप्ति

नौजवान बना सकते हैं भारत को अव्वल: राजेन्द्र शुक्ल
भोपाल, 4 अगस्त, 2014। मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल और कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय के तीन दिवसीय सत्रारंभ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस मौके पर उन्होंने फोटो प्रदर्शनी विश्‍वविद्यालय की विकास यात्रा का भी उद्घाटन किया। कार्यक्रम के उद्घान सत्र में मुख्य अतिथि श्री शुक्ल ने कहा कि भारत दुनिया का नंबर एक देश बन सकता है। भारत के नौजवानों के हाथों में यह ताकत है। युवाओं को अपनी ताकत को पहचानकर देश को सही दिशा में आगे ले जाने के लिए ईमानदारी से प्रयास करने होंगे। जो युवा पत्रकारिता में आ रहे हैं। उन्हें पहले इस क्षेत्र की चुनौतियों और प्रकृति को समझ लेना चाहिए। पत्रकारिता जिम्मेदारी का काम है।

मंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा खंभा है। विधायका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और पत्रकारिता ये चारों स्तम्भ अपना काम अच्छे से करें तो लोकतंत्र वरदान साबित होगा और देश भी शिखर पर पहुंच जाएगा। उन्होंने संवेदनशीलता और ईमानदारी को व्यक्तिगत और राष्ट्र की सफलता के लिए जरूरी बताया। पत्रकारिता करोड़ों लोगों के जीवन में खुशहाली लाने का माध्यम है लेकिन इसके लिए पत्रकार के हृदय में संवेदना होनी चाहिए। श्री शुक्ल ने पत्रकारिता के क्षेत्र में एमसीयू के योगदान को उल्लेखित करते हुए कहा कि विश्‍वविद्यालय ने देश में मध्यप्रदेश को अलग ही पहचान दी है।

समय प्रबंधन, अनुशासन और नियमितता सफलता के सूत्र: प्रो. कुठियाला –
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि समय प्रबंधन, अनुशासन और नियमितता सफलता के सूत्र हैं। यह सूत्र अध्ययन के दौरान ही नहीं बल्कि करियर में भी काम आता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जब वे एमसीयू से पढ़कर निकलें तो यह सोचें कि कैसे पत्रकारिता करते हुए भारत को श्रेष्ठ बनाने के लिए अपना दायित्व कैसे निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अध्ययन के लिए नित नए विषय सामने आ रहे हैं, उनके अध्यापन के लिए अभी उतनी व्यवस्थाएं नहीं हैं। प्रत्येक वर्ष भारत में ही प्रिंटिंग के क्षेत्र में करीब 22000 विशेषज्ञों की जरूरत होती है लेकिन इतने एक्सपर्ट तैयार नहीं हो रहे हैं। जबकि दुनिया में सबसे अधिक रचनात्मक मस्तिष्क भारत के पास हैं। हम उनका उपयोग करें तो देश सबसे आगे रहेगा ही। प्रो. कुठियाला ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय इस दिशा में काम कर रहा है। एमसीयू में नए-नए कोर्स शुरू होने के साथ ही भारत के प्राचीन संवाद सूत्रों पर भी शोधकार्य कर किया जा रहा है। नाट्यशास्त्र पर आधारित संवाद की रचना पर एक बेहतरीन पुस्तक जल्द ही आने वाली है। भरतमुनि, पतंजलि और पाणिनि सहित अन्य ऋषि-मुनियों पर शोधकार्य किया जा रहा है। इसे एमसीयू की ओर से हम दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करने वाले हैं।

प्रो. कुठियाला ने कहा कि पंडित माखनलाल चतुर्वेदी भारत की मिट्टी से जुड़े हुए थे, इसीलिए उन्होंने पत्रकारिता, साहित्य और राजनीति सहित स्वतंत्रता संग्राम में अपना अतुलनीय योगदान दिया। श्रेष्ठ पत्रकारिता के लिए अपनी मिट्टी से जुड़ना जरूरी है। उद्घाटन सत्र का संचालन विश्‍वविद्यालय से संबद्ध संस्थाओं के डायरेक्टर दीपक शर्मा ने किया।

मूल्य बनाते हैं श्रेष्ठ पत्रकार –
‘मीडिया में मूल्यबोध और व्यक्तित्व में समावेश’ विषय पर आयोजित सत्र में वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, पांचजन्य के संपादक हितेष शंकर और एबीपी न्यूज गुजरात के संपादक बृजेश कुमार सिंह ने पत्रकारों में मूल्यबोध को जरूरी बताया। श्री बृजेश कुमार सिंह ने कहा कि आज की पत्रकारिता में जो बड़े नाम हैं, उन्होंने तमाम बुराइयों से अपने-आप को दूर रखा तब वे अपनी विश्‍वसनीयता बना सके। जबकि एक-दो घटनाओं ने ही कई बड़े आइकन की छवि को ध्वस्त कर दिया। इसलिए पत्रकारिता के बुनियादी मूल्य हैं, उनका पालन हर हाल में करना जरूरी है। श्री शंकर ने कहा कि पत्रकार के हाथ में एक तराजू होती है। एक पलड़े में तथ्य और एक पलड़े कथ्य होते हैं। ये दोनों पलड़े बराबर रखकर ही पत्रकारिता करनी चाहिए। जो तथ्य और कथ्य को तौलते में डण्डी मारते हैं, उन्हें समय एक्सपोज कर देता है। उन्होंने कहा कि भारतीय खरापन बना रहा तो पत्रकारिता में राष्ट्रीय स्वर बना रहेगा। यह महज राष्ट्रीय स्वर की बात नहीं बल्कि इंसानियत की बात है। श्री रामकृपाल सिंह ने कहा कि भले ही आप किसी की बात से असहमत हो लेकिन उसकी अभिव्यक्ति की आजादी के लिए लड़ते रहने का यकीन उसे दिलाते रहना चाहिए। यह ही लोकतंत्र की ताकत है। उन्होंने कहा कि लिखने से पहले खुद से सवाल करना चाहिए कि मेरे लिखे से सामाजिक सौहार्द तो नहीं बिगड़ेगा। सकारात्मक पत्रकारिता के लिए यह जरूरी है। सत्र का संचालन जनसंपर्क विभाग, एमसीयू के विभागाध्‍यक्ष डा. पवित्र श्रीवास्तव ने किया। ‘प्रकाशन और पैकेजिंग में करियर’ विषय पर आयोजित सत्र में हार्पर कालिंग्स के उप महाप्रबंधक अमित शर्मा और प्रिंटिंग पैकेजिंग प्रोफेश्‍नल जगजीत सिंह ने प्रजन्टेश्‍न के माध्यम से इस क्षेत्र में करियर की संभावनाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी लगातार अपने को तकनीक के साथ अपडेट करते रहें तो इस क्षेत्र में काम के बहुत अवसर हैं। हिन्दी के प्रकाशन में हो रही बढ़ोतरी को भी उन्होंने बताया। सत्र का संचालन मितेश शर्मा ने किया।

जनसंपर्क एक बेहतरीन क्षेत्र: सुभाष सूद
ख्यातनाम जनसंपर्क विषेशज्ञ सुभाष सूद ने ‘मनोभाव के निर्माण और परिवर्तन में जनसंपर्क की भूमिका’ विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि आज के समय में पत्रकारिता चलाना बहुत कठिन है अगर विज्ञापन और जनसंपर्क जैसी दो विधाएं न हों। किसी भी समाचार-पत्र या मीडिया का मुख्य आधार विज्ञापन है। उन्होंने कहा कि जनसंपर्क इंडस्ट्री का ग्रोथ 27 प्रतिशत से अधिक है। इस क्षेत्र में करियर उज्ज्वल है। जनसंपर्क अधिकारी की चमचागिरी से अधिक नहीं है, इस धारणा के कारण ही जनसंपर्क विधा बदनाम हो गई है। जबकि यह सच नहीं है। जनसंपर्क में भारतीय मूल्यों के समावेश पर जोर देते हुए श्री सूद ने कहा कि जनसंपर्क की विधा में से पश्चिम की धारणाओं को निकालने की जरूरत है। भारत के संस्कारों और मूल्यों के समावेश से जनसंपर्क को बेहतरी से किया जा सकता है। इस सत्र का संचालन न्यू मीडिया विभाग, एमसीयू की अध्यक्ष डा. पी. शशिकला ने किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.