आखिर केजरीवाल का इतना “टीटीएम” क्यों कर रहे हैं पुण्य प्रसून बाजपेयी

आजतक पर पुण्य प्रसून की क्रांतिकारिता
आजतक पर पुण्य प्रसून की क्रांतिकारिता

समरेश बाजपेयी

आजतक पर पुण्य प्रसून की क्रांतिकारिता
आजतक पर पुण्य प्रसून की क्रांतिकारिता

आज तक पर बाबा नाम से विख्यात पुण्य प्रसून बाजपेयी हर घंटे नई क्रांति में मशगूल हैं, हर बुलेटिन में नया इतिहास रचा जा रहा है। जीत तो हुई केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की, लेकिन बाजपेयी जी की आंखों का नूर देखते ही बनता है। पैनल डिस्कशन में बात चाहे केजरीवाल की सफलता की हो या केजरीवाल की मोदी से मुलाकात की, पुण्य प्रसून छूटते ही सवाल करते हैं- अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया तो आखिर इतिहास किसे याद करेगा, मोदी को या केजरीवाल को ? फिर न जाने किस सनक में एक ही सवाल को बार-बार दुहराते हैं। अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया तो आखिर इतिहास किसे याद करेगा, मोदी को या केजरीवाल को ?…

दरअसल, मिजाज, सियासत, संसद से सड़क तक, हाशिया जैसे शब्दों-जुमलों से पटे पुण्य प्रसून के वाक्य इन दिनों केजरी-वंदना में लगे हैं। और तो और बाबा ने तो पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान “क्रांतिकारी बहुत क्रांतिकारी” जैसे जुमले को उचित ठहराने की मुद्रा में इसी शीर्षक से एक क्रोमा ही तान दिया।

punya-prasun-bajpai-laughinगौरतलब है कि केजरीवाल के साथ एक इंटरव्यू के आखिरी चरण में दोनों की अनौपचारिक-सी बातचीत में का वीडियो वायरल हो गया था। इस वीडियो में आम आदमी पार्टी के समर्थक के तौर पर बाजपेयी केजरीवाल के इंटरव्यू के अंश की तारीफ कर रहे हैं, वहीं केजरीवाल बाजपेयी को अपना मनपसंद अंश ज्यादा दिखाए जाने की सलाह दे रहे हैं।

तमाम मु्द्दों पर नैतिकता और सरोकार का ज्ञान देने वाले बाजपेयी बाबा की छवि को तब गहरा आघात लगा था। लेकिन बाजपेयी जी केजरीवाल की विजय के साथ ही उन कुंठाओं को अवसर में बदल देना चाहते हैं। इसलिए ही, जमकर केजरी वंदना में लगे हैं।

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