पत्रकार विकास चंद्रा पर हमला हरियाणा पुलिस की खीज का कायराना उदाहरण

निमिष कुमार

संत कहे जाने वाले कंलक रामपाल और उसके सामने घुटने टेकती बेकार हरियाणा पुलिस की खीज़ का कायरना उदारहण है मेरे दोस्त विकास चंद्रा पर ये हमला। भारत को लोकतंत्र कहने वाली सरकारों को शर्म आनी चाहिए। दलितोंं को हरिजन कह वोट मांगकर सत्ता की अय्याशी करने वालों ने, बाबा साहेब अंबेडकर के बनाए भारतीय संविधान का अपमान किया है, जो प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहता है।

विकास चंद्रा से दोस्ती डेढ़ दशक पुरानी है। जब देश में वाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने थे, और हम सारे बीजेपी कवर किया करते थे। ये घायल विकास नहीं, लोकतंत्र में प्रेस की आजादी पड़ी हुई है।

अब मीडिया पर हमला करने वालों से भी निपटने का समय आ गया है। समय आ गया कि उन तमाम लोगों को सरेआम मीडिया के माध्यम से नंगा किया जाए। इतना लज्जित की वो क्या, कोई और मीडिया पर हाथ उठाने से पहले दस नहीं करोड़ बार सोचे। उन हर एक को लेकर, उनके परिवारों को लेकर, उनके बच्चों, ससुराल, मायके को लेकर स्टोरी क्यों ना बनाएं> जब हम मीडिया वाले पर्सनल अटैक करने पर आ जाएंगें. तो बाप बाप करते फिरेंगे ये सब।

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