संवेदनशीलता पत्रकारिता का प्राण है: मनोज श्रीवास्तव

हमें संवेदना पांच ज्ञानेंद्रियों से प्राप्त होती है और हर गतिविधि की प्रेरणा संवेदना से मिलती है. पत्रकार भी संवेदना के आधार पर ही काम करते हैं. संवेदनशीलता पत्रकारिता का प्राण है. यह उद्गार मौर्य टीवी के झारखंड हेड मनोज श्रीवास्तव के हैं, जो गिरिडीह झंडा मैदान में अभिव्यक्ति फाउंडेशन के तत्वावधान में पुस्तक मेले में आयोजित ‘मीडिया और संवेदनशीलता’ विषयक परिचर्चा में व्यक्त कर रहे थे.

श्रीवास्तव ने संवेदना, संवेदनशीलता और पत्रकारिता पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि मीडिया अब नयी-नयी टेक्नोलॉजी की ओर मुखातिब होने लगा है, जिसका हिस्सा अब एक आम आदमी भी होता जा रहा है. लोगों का अब मीडिया से सीधा जुड़ाव हो गया है और यह जुड़ाव इंटरनेट के माध्यम से हो रहा है. लोगों के हाथ में नयी-नयी टेक्नोलॉजी के मोबाइल, टैब आते जा रहे हैं, जो पल-पल की खबरें ब्रेक कर रहे हैं. इसलिए आने वाले समय में हर लोग पत्रकार होंगे.

क्रॉस फायर के एडिटर राकेश सिन्हा ने कहा, मीडिया संवेदनशील है. संवेदनशीलता की वजह से ही दिल्ली में दामिनी रेपकांड ने देश को उद्वेलित कर दिया और रेप जैसे मुद्दे पर बहसें हो रही हैं, नया कानून बनाने पर बात चल रही है. पत्रकार अरविंद कुमार ने कहा कि हम पत्रकारों को सिर्फ खबरें ही नहीं बनानी चाहिए, बल्कि सामाजिक सरोकार रखते हुए गरीब, जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए. कुमार ने पत्रकारों की ओर से गरीबों, जरूरतमंदों को की गयी कई मदद का उदाहरण भी पेश किया. पत्रकार विस्मय अलंकार, चुन्नूकांत व अमित राजा ने भी संवेदनशीलता पर अपनी बातें रखीं. परिचर्चा का संचालन पत्रकार आलोक रंजन कर रहे थे.

मौके पर तीन पुस्तकों दीपक वर्मा लिखित ‘लव लाइफ एंड ऑल द डॉटस’, डॉ रूपाश्री मौलिक खेतान लिखित ‘राजेंद्र यादव के उपन्यासों में नारी’, साप्ताहिक पत्रिका ‘सब का न्यूज एक्सप्रेस’ एवं हरिहर प्रसाद सिंह लिखित ‘सामाजिक जहर’ का विमोचन किया गया.


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