अमिताभ को चाहने वाले षमिताभ जरूर देखें

फिल्म समीक्षा - षमिताभ

सैयद एस तौहीद @ passion4peral@gmail.com

फिल्म समीक्षा - षमिताभ
फिल्म समीक्षा – षमिताभ

अमिताभ को आवाज का धनी मनाने वाले उनके दीवानों के लिए आर बाल्की एक खुशखबरी लेकर आएं हैं. बिग बी की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म ‘SHAMITABH’ रिलीज हुई. फिल्म का शीर्षक SHAMITABH धनुष के ष एवं अमिताभ के मिताभ मिलाकर रचा गया .आप इसे दानिश एवं अमिताभ सिन्हा से भी जोड़कर देख सकते हैं. आर बाल्की के इस प्रयोग की सराहना की जानी चाहिए. कहानी दानिश, यानि धनुष के बारे की है, जो बोल नहीं सकते, लेकिन उनका सपना फिल्मों में हीरो बनने का है। दानिश का जुनून उसे मायानगरी ले आया , लेकिन उनका न बोल पाना सपनों को पूरा होने में बड़ी बाधा थी । ऐसे में उन्हें अमिताभ सिन्हा, यानि अमिताभ बच्चन की आवाज़ मिली.

एक लंगड़े व अंधे दोस्त की कहानी आपने अनेक बार मोरल सायंस में सुना होगा अब फ़िल्म में नए नजरिए से देखिए। जीवन की विडंबनाएं यह बताती हैं कि मुकम्मल होने के लिए सभी को किसी न किसी साए की जरूरत पड़ती है. दानिश के की तरह अमिताभ का किरदार भी चार दशक पहले मायानगरी में अभिनेता बनने का सपना लेकर आए थे. लेकिन उनका ख़्वाब पूरा हो नहीं सका .वो अब भी एक स्ट्रगलर का जीवन जी रहे. डबिंग आर्टिस्ट होकर ही संतोष करना पड़ा. मुश्किल दिनों ने शराबी बना दिया था. अक्षरा हासन को दानिश एवं अमिताभ सिन्हा की प्रतिभाओं की परख थी. अक्षरा को विश्वाश था कि अगर ये दोनों कलाकार साथ आ जाएं तो शायद वो देखने को मिलेगा जो दोनों ने नहीं सोंचा था. दानिश में अभिनय की बारीकी जरुर थी लेकिन वो बोल नहीं सकता था.जबकि अमिताभ सिन्हा को जीवन में कभी परदे पर आने के अवसर नहीं मिले. ख्वाब के पंख इंसान को असंभव काम को भी अंजाम देने की ताकत देते हैं. दानिश की अदाकारी को अमिताभ सिन्हा की आवाज देकर SHAMITABH का आधार रखा गया.सिनेमा की दुनिया को कामयाबी का नायाब लिंक मिला था.

कलाकारों के व्यक्तिगत अहम से इस अनोखे जोड़े में मतभेद हुआ टकराव की स्थिति आ गई.दानिश की आवाज अमिताभ को अपनी स्थिति में उपेक्षा का एहसास होने से टकराव हुए. SHAMITABH की कामयाबी के असल हकदार पर सवाल उठने लगे. संघर्ष पनपने लगे . वाकई वो एक महत्वपूर्ण सवाल लगेगा क्योंकि अमिताभ एवं दानिश अपने अपने हिसाब से उसमे बराबर योगदान कर रहे थे. फ़िल्म आपको सिनेमा की दुनिया के एक जरूरी विमर्श पर ले जा रही कि परदे पर एवं उसके परे योगदान में किसे महान कहा जाए ? कामयाबी किसकी…? वीडियो अथवा आडियो की? एक दुसरे से टूट कर दानिश व सिन्हा की अलग पहचान होगी ? अहंकार का त्याग कर उन्हें वर्त्तमान को स्वीकार कर लेना चाहिए क्योंकि SHAMITABH से उनकी पहचान थी. लेकिन अमिताभ सिन्हा के साथ इंसाफ होना भी जरुरी महसूस होगा क्योंकि उन्हें दुनिया से छुपा कर रखा गया था. वो दानिश की सिर्फ आवाज बन कर जी रहा कलाकार था. दानिश की तरक्की उनके सामानांतर चल रही थी. आपको संवेदना का बंटवारा करना भी होगा क्योंकि दोनों कलाकारों की अपनी कहानियां थी. अपना जीवन संघर्ष था. अंत तक बांधे रखने के लिए एक रुचिकर प्लाट .

आर बाल्की ने ख़्वाब तथा संघर्ष की परख कर कलाकारों की क्षमता के न्याय पर जरुरी बहस रखी जिसकी सराहना करनी होगी बाल्की ने ठीक दिखाया कि सिनेमा की दुनिया में रातों रात सितारा बन जाने से कलाकार में सनक का भाव हो जाता है. फ़िल्म में अमिताभ के साथ फिर भी अधिक संवेदना होगी क्योंकि वो एक बुजुर्ग किरदार निभा रहे.क्या आपने उस सीन को देखा जिस में अमिताभ कह रहे …जिस आडियो की वजह से वीडियो चले उसे पिक्चर कैसे कहेंगे..अमिताभ सिन्हा की पीड़ा को बयान करता सीन. केवल जो परदे पर नजर आ रहा उसे ही पूरा श्रेय नहीं दिया जा सकता. वह पेड़ के तने से मुखातिब होकर एंटरटेनमेंट की दुनिया की सीमाओं पर जबरदस्त कमेन्ट कर रहे.बालीवुड में ओरिजनल चीजों की कमी पर भी एक मानीखेज टिप्पणी भी काबिले गौर.

फिल्म की लम्बी समय सीमा इसे कमजोर करेगी .अमिताभ बच्चन को गाते सुनने का अवसर नहीं गंवाया चाहते तो ‘पिडली… गाने पर ध्यान दें. यह एक बड़ा आकर्षण बन रहा. हालांकि गीतों की ख़ास जरूरत नहीं लग रही फिर भी यह गाना तकलीफ नहीं देगा. फिल्म ने बिग बी ने डायलाग डेलिवरी का नया तरीका अपना कर नया कर दिखाया है. फ़िल्म आपकी बेरीटोन आवाज को सम्मान के रूप में भी देखी जा रही. सीधा सच्चा अभिनय करने वाले धनुष भी बेहद प्रभावित कर रहे. कुल मिलाकर अमिताभ –धनुष एवं आर बाल्की के बेहतरीन फार्म को मिस नहीं किया जाना चाहिए. सिनेमा की दुनिया से वास्ता रखने वाले अथवा उसमें रूचि रखने वाले लोग SHAMITABH को जरुर देखेंगे.

(अपनी प्रतिक्रिया आप सीधे समीक्षक को Passion4pearl@gmail.com पर भेजें)

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