भगत सिंह की भतीजी ने कहा ‘शहीदे आजम का सपना अब पूरा होता दिख रहा है’

मुंबई, 22 मार्च। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर विकसित हो रही भारत की मजबूत छवि से शहीदे आजम भगत सिंह के परिवारजन खुश हैं। भगतसिंह की भतीजी श्रीमती विरेंदर सिंधु अरोड़ा ने कहा है कि शहीदे आजम के सपनों के भारत का निर्माण असल में अब होता दिख रहा है, यह उनके लिए खुशी की बात है। वे लंदन में जानी मानी लेखिका श्रीमती मंजू लोढ़ा की पुस्तक ‘परमवीर – द वार डायरी’ का अवलोकन करने के बाद अपने उदगार प्रकट कर रही थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की जो मजबूत राष्ट्र की छवि बन रही है, वह गर्व करने योग्य है।

शहीदे आजम भगत सिंह के 23 मार्च को आनेवाले 111वें जन्म दिवस से पहले लंदन में उनकी भतीजी श्रीमती विरेंदर सिंधु अरोड़ा से श्रीमती मंजू लोढ़ा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की। इस दौरान श्रीमती लोढ़ा ने उन्हें अपनी बहुचर्चित पुस्तक ‘परमवीर – द वार डायरी’ भेंट की एवं पिछले साल प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘भारत भाग्य निर्माता’ में शहीद भगत सिंह के प्रति भारतीयों के मन में अगाध श्रद्धा पर विस्तार से किए गए उल्लेख की जानकारी दी। श्रीमती लोढ़ा इन दिनों लंदन में है, वहां चल रहे ‘लंदन इंटरनेशनल बुक फेस्टिवल’ में उनकी पुस्तक‘परमवीर – द वार डायरी’ को खास जगह मिली है। श्रीमती विरेंदर सिंधु अरोड़ा ने ‘परमवीर’ की सराहन करते हुए कहा कि देश के लिए बलिदान देनेवाले शूरवीरों पर प्रकाशित यह पुस्तक आनेवाली पीढ़ियों में देश के सैनिकों एवं शहीदों के प्रति सम्मान जगाती हैं।

भगत सिंह के छोटे भाई सरदार कुलतार सिंह की बेटी श्रीमती विरेंदर सिंधु अरोड़ा मानती है कि भगतसिंह न केवल अंग्रेजों को भारत से भगाना चाहते ही थे, बल्कि वे भारतीयों के हाथों से एक समर्थ भारत का निर्माण भी चाहते थे। उन्होंने कहा कि भारत के प्रति शहीदे आजम का वह सपना अब पूरा होता दिख रहा है। श्रीमती लोढ़ा से मुलाकात में उन्होंने विकसित होते भारत के वर्तमान स्वरूप पर चर्चा की। श्रीमती विरेंदर सिंधु अरोड़ा अपने विवाह के बाद वे सन 1968 में लंदन शिफ्ट हो गईं, और वहां पर सबकैंट इलाके में रह रही हैं। उनका जन्म पंजाब (अब पाकिस्तान में) के लायलपुर में हुआ था। आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करने के बाद वे सहारनपुर में पढ़ाती थीं। फिर लंदन चले जाने के बाद भारतीयों बीच वहां वे सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यों में सक्रिय हैं।

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