हिन्दुस्तान अखबार का एक कर्मी रच रहा अपने ही प्रबंधन के खिलाफ षडयंत्र

भोजपुरी में एक कहावत है, ‘डायन भी मंतर मारेले त पांच घर बचा देवे ले!’ लेकिन हिन्दुस्तान, बिहार के एक यूनिट में करीब एक दशक से कार्यरत उप संपादक स्तर का खबरची अपनी ही डाली को काटने में लगा है. साफ शब्दों में कहे तो जिस थाली में खा रहा है, उसी में छेद कर रहा है. बेचारा काफी दिनों से अपने गृह जिले में बतौर कार्यालय प्रभारी वापसी की जुगाड़ में था. लेकिन जब उसका मंसूबा पूरा नहीं हुआ तो सरोकारी संपादक और उनकी काबिल टीम को ही बदनाम करने के लिए मोर्चा खोल लिया हैं. कारण कि उसने सूबे में जल्द ही लांच होने वाले एक बड़े अखबारी बैनर की संपादकीय टीम के एक स्वजातीय आलाधिकारी से हाथ मिला लिया है. उनकी चाल है कि भाष्कर में कूदने से पहले अखबार को येन केन प्रकरण बुरी तरह डैमेज कर दें.

दरअसल इसके मूल में कहानी कुछ यूं है. चूंकि यह यूनिट बिहार की आर्थिक राजधानी माने जाने वाले एक शहर में स्थित है. और जनाब पहले बगल के अपने ही गृह जिले में तैनात थे. रोबिले व्यक्तिव की बदौलत धौस दिखा वसूली के कारण पूरे शहर में गंध फैला दिए थे. पूरे जिले में इनकी छवि माफिया की बन गई थी. नतीजा, गंभीर आरोप लगे और प्रबंधन की जांच में पकड़े भी गए थे. नियमत: हटा दिया जाना चाहिए था, पर ऐसा नहीं हुआ. तब महोदय का पूरा कुनबा ही हिन्दुस्तानी था. सो तगड़ी पहुंच से उसका यूनिट में तबादला हो गया. अब जबकि लोक सभा व विधान सभा चुनाव करीब हैं. ऐसे में कमाई के भरपूर आसार देख उसने गृह जिला में तबादले के लिए काफी एड़ी-चोटी लगाई. चाहे इसके लिए डिमोशन ही क्यों न झेलनी पड़े. लेकिन उसकी पूर्व की काली करतूत इसमें बड़ी बाधा बन गई है. इसलिए बागी होकर अपने ही प्रबंधन के खिलाफ षडयंत्र करने व भड़ास निकालने में लगे हैं. अब देखना यह है कि हिन्दुस्तान प्रबंधन इस नमक हराम के प्रति क्या रवैया अपनाता है?

(एक पत्रकार के भेजे गए पत्र पर आधारित)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.