लीजिए जिंदल ब्लैकमेलिंग प्रकरण वाले चैनल में चाटूकारिता के बाद अब चोरीकारिता!

पत्रकारिता में चाटूकारिता के बाद अब चोरीकारिता…………..

अज्ञात कुमार
पत्रकारिता में चाटूकारिता का प्रैक्टिल तो आप देख चुके हैं… अब एक नयी धारणा एक पत्रकार भाई ने विकसित की है चोरीकारिता। ये अभी शायद नया नया ताज़ा ताज़ा कॉन्सेप्ट है। मीडिया जगत है हमेशा दिमाग की नसों में ठूंस-ठूस कर भरा होता है कि कुछ नया करना है – कुछ नया करना है – कुछ नया करना है तो मुंबई के एक बबुआ क्राइम रिपोर्टर यानी अपराध संवाददाता भाई ने नई टेक्नालाजी विकसित कर दी। ये अलग बात है कि इस टेक्नालॉजी ने बबुआ भाई साहब को दुकान से ही हाथ धोना पड़ा… लेकिन ऐसे बबुआ भाई पत्रकारों की जरूरत सर्वत्र रहती है लिहाजा जनाब को तत्काल वाला टिकट की तरह नया ठीहा उपलब्ध हो गया। तो फिर नया ठीहा मिलने पर चोरीकारिता में माहिर साहब को सबसे पहले कोटि कोटि सह्रदय बधाई हो…..

अब आगे की सच्ची कहानी शुरू की जा रही है। ज्यादा लाग लपेट के चक्कर में न पड़ते हुए साहब मुंबई के एक टीवी चैनल में बतौर क्राइम रिपोर्टर के रूप में रात दिन पहरा देते रहते थे। चैनल भी कोई ऐसा वैसा नहीं जिसने जिंदल को भी एक दुकान खोलने के लिए मजबूर कर दिया। क्राइम रिपोर्टर साहब रात्रि कालीन सेवा दे रहे थे। रात में जनाब को कोई खबर शायद नहीं मिली होगी लेकिन चमचमाता एक गिफ्ट जरूर दिखाई दे गया बस फिर क्या था साहब ने रात का फायदा उठाते हुए तुरंत उस गिफ्ट को बैग में गिरफ्तार कर लिया । ये गिरफ्तारी चैनल में लगी तीसरी आँख सब देख रही थी।

तीसरी आँख को पौराणिक कथाओं में आज्ञा चक्र कहते हैं और आज कल के पढ़े लिखे विकसित लोग उसे सीसीटीवी कैमरा कहते हैं.. जिन महोदया का गिफ्ट था उनके टेबल से गिफ्ट गायब.. लिहाजा महोदया ने धारदार मेल दिल्ली दरबार भेज दिया। दिल्ली दरबार मेल देखते ही गिफ्ट को ढूंढ़ने के लिए अनुलोम विलोम करने लगा। लिहाजा तृतीय नेत्र ने सारा राज उगल दिया। बस फिर क्या था जनाब को खाकी की शरण में आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भेजना चाहिये था लेकिन चैनल ने दयालुता का परिचय देते हुए दुकान से बेदखल कर दिया।

साहब एक संगठित गिरोह के सदस्य भी बताये जाते हैं। आधुनिक भाषा में इसे लॉबी कह सकते हैं। श्रीमानजी जब भी किसी खबर को कवर करते थे और उसमें सीसीटीवी से सम्बन्धित खबर हो तो श्रीमान जी के मुखार बिंदु से तीसरी आँख नामक शब्द से ही श्री गणेश होता था। तीसरी आँख कहते कहते कभी अघाये नहीं है। लेकिन साहब को तीसरी आँख ने आँख तरेर दी है।

फिलहाल साहब को एक भ्रूण चैनल में ठिकाना मिल गया। है। चैनल का नाम धक धक गर्ल के गाने पर समाहित है – धक धक करने लगा…. मोरे….. डरने लगा……… चैनल जल्द ही अवतार लेने के लिए बेकरार है। अवतरित होने वाले इस चैनल को भारतीय आदत के अनुसार नि: शुल्क सलाह ठेले दे रहे हैं कि चैनल अपने यहां पानी की बोतल, बाथरूम का जग बचा के रखे नहीं तो रोज जग खरीदना पड़ेगा।

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