प्रिंट मीडिया के एनसायक्लोपीडिया है वरिष्ठ पत्रकार कुमार केतकर

सुजीत ठमके

कुमार केतकर जी हां। मीडिया जगत का एक नाम जो प्रदेश के साथ साथ देश – विदेश के विषयो पर एनसायक्लोपीडिया है। टीवी चैनल की लाइव डिबेट हो, राष्ट्रीय, आंतरराष्ट्रीय सेमीनार, संगोष्ठी या कोई चर्चासत्र। विषय कोई भी हो प्रारम्भ और अंत ऐसा करते है मानो पत्रकार कुमार केतकर नहीं कोई सुपरकंप्यूटर का परफेक्ट डेटा, तथ्य, विश्लेषण, निष्कर्ष और खबरों के पीछे का इतिहास भूगोल रख रहे है।

विरोधी भी कुमार केतकर के ज्ञान, पढ़ाई, समझ,विश्लेषण, निष्कर्ष आदि के मुरीद है। केतकर यानी ज्ञान का भण्डार है। देश विदेश की राजनीति, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, विदेश नीति, अन्तराष्ट्रीय मसले, शीतयुद्ध, आतंकवाद, मंडल कमीशन, दंगे, नक्सलवाद, नस्लवाद, कूटनीति और न जाने प्रदेश, देश -विदेश के अनगिनत कितने विषयो की तिथि, घटना, परदे के पीछे की राजनीति, विश्लेषण, तथ्यों आदि का समूचा घटनाक्रम केतकर रखते है।

कुमार केतकर देश के मीडिया जगत कुछ चुनिंदा नामो में से एक है। अन्तराष्ट्रीय मैगज़ीन टाइम्स, वाल स्ट्रीट जर्नल, न्यूयॉर्क टाइम्स आदि अखबारों, मैगज़ीन ने भी केतकर के ज्ञान भण्डार को सलाम किया है। केतकर पर उन्होंने स्पेशल फीचर भी लिखे है। कनाडा, रूस, पाकिस्तान, लन्दन,आस्ट्रेलिया इन देशो से प्रकाशित अखबारों ने भी केतकर पर कई बार आलेख लिखे है।

केतकर ने मुंबई से प्रकाशित होने वाले इकोनॉमिक्स टाइम्स नामक अग्रेजी अखबार में ट्रेनी रिपोर्टर के जरिये पत्रकारिता की शुरुवात की। केतकर को उद्योग जगत, व्यापार आदि की रिपोर्टिंग करने में काफी दिलचस्पी थी। प्रतिभाशाली और पढ़ाई में अव्वल रहने के कारण देश विदेश की राजनीति, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, विदेश नीति, अन्तराष्ट्रीय मसले, शीतयुद्ध, आतंकवाद, नक्सलवाद, नस्लवाद, कूटनीति, आपातकाल जैसे गंभीर, पेचीदा विषयो में वो मास्टर बने। व्यापार जगत की खबरे कवर करते करते केतकर ने कई विषयो पर पकड़ बनाई। आपातकाल के समय केतकर ने प्रिंट पत्रकारिता में चार चाँद लगाए। महाराष्ट्र की राजनीति हो या दिल्ली की उठापटक केतकर की केवल खबरों पर ही पैनी नजर नहीं होती उसके पीछे के तथ्यों, विश्लेषण, निष्कर्षो की बेहतर, परिपक्व अंदाज में दर्शको तक पहुचाते है।

केतकर मूल रूप से समाजवादी है। बावजूद कम्युनिझम, गांधीवाद, आंबेडकरवाद आदि विषयो पर अच्छी पकड़ रखते है। महाराष्ट्रा में शिवसेना का गठन हो या दरार, दलित संघठनो का उदय या कई खेमो में बट जाना, मुंबई में कम्युनिस्टों की हुकूमत हो,जॉर्ज फर्नांडिस का आंदोलन या फिर कपड़ा मिलो के कामगारों का दर्द, बाबरी विध्वंस, १९९३ ब्लास्ट और साम्प्रदाइक दंगे, मराठवाड़ा विश्विद्यालय का नामान्तर विवाद और दलित- सवर्णो की बीच पनपे दंगे, मंडल कमीशन, महाराष्ट्र- कर्नाटक सीमा विवाद, अकाल, किसान ख़ुदकुशी आदि संवेदनशील, सुलगते सवालो को केतकर ने नजदीक से देखा। इन मुद्दो को पत्रकारिता के जरिये जनमानस के सामने रखा। केतकर ने पत्रकारिता के सभी पड़ाव देखे । जेपी आंदोलन को नजदीक से देखने का समझने का स्वर्ण अवसर मिला। पाकिस्तान का तख्ता पलट, अमेरिका के इराक पर हमले, नाटो का आक्रमण, ब्रिटेन, अमेरिका देशो के चुनाव एवं संघीय ढाँचा, जम्मू कश्मीर में अलगाववादी ताकतों का पनपना और ना जाने कितने गंभीर विषयो पर केतकर बेबाक राय रखते है। मराठी के नामचीन अखबार दैनिक लोकसत्ता, महाराष्ट्र टाइम्स, दिव्य मराठी आदि अखबारों में महत्वपूर्ण पदो पर कार्यान्वित थे। कई विषयो पर किताबे लिखी किन्तु कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी पर लिखी किताब काफी चर्चित रही। मराठी, इंग्रजी हिंदी के कई टीवी चैनेलो के लाइव डिबेट में बेबाक राय रखते है। मराठी, अग्रेजी अखबारों में विभिन्न विषयो पर स्तभलेख भी लिखते है। शिवसेना पर लिखे विवादित लेख के चलते शिवसैनिकों ने उनके घर पर धावा बोला। जानलेवा हमले में केतकर बाल बाल बचे। आरआरएस की विचारधारा के वो कट्टर आलोचक है। जिसके चलते कई बार उनको जानसे मारने की धमकिया आती रहती है। मराठी साहित्य सम्मलेन के मंच से केतकर ने आरआरएस की विचारधारा की खुलकर निंदा की थी। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के नजदीकी होने के कारण उनको राज्यसभा में जाने की कई बार अटलके लगती रही किन्तु राजनैतिक मज़बूरी के चलते विफल रहे। केतकर फिलहाल मी मराठी नामक मराठी चैनल में समूह संपादक है। केतकर पर आरोप भी लगे को वो कांग्रेस के फेवर की पत्रकारिता करते है। प्रदेश, देश, दुनिया का कोई भी विषय हो वाकई वरिष्ठ पत्रकार कुमार केतकर प्रिंट मीडिया के एनसायक्लोपीडिया है।

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