आप की अदालत के पर्दे के पीछे ऋतु धवन, रिश्ते में रजत जी की धर्मपत्नी और कर्म में डायरेक्टर

हर्ष रंजन

rajat-sharma-kejriwal-adalaकुछ रचनाएं कालजयी होती हैं और कुछ फिल्म और टीवी के प्रोग्राम भी कालजयी की श्रेणी में रखे जा सकते हैं। मदर इंडिया, बंदिनी, शोले, मुगल-ए-आज़म आदि फिल्म ऐसी ही हैं। एंटरटेनमेंट टीवी की बात करें तो -बुनियाद- रामायण- महाभारत-आदि सीरियल इसी कैटेगरी में आते हैं। तमाम कोशिशों और विपणन(मार्केटिंग) के बावजूद नया महाभारत अपना जलवा बिखेरने में कामयाब नहीं रहा है। वर्षों बाद अगर महाभारत याद किया जायेगा तो बीआर चोपड़ा और दूरदर्शन वाला ही याद आयेगा चाहे जो भी पीढ़ी याद करे।

इसी तरह टीवी न्यूज़ चैनलों के कुछ प्रोग्राम के कॉंसेप्ट और प्रस्तुति कालजयी हैं। 15 साल से अधिक समय से चल रहा रजत शर्मा का प्रोग्राम – आपकी अदालत- इसकी बेहतरीन मिसाल है। काफी अर्से बाद इस कार्यक्रम को देखा जिसमें अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाया जा रहा था। ये प्रोग्राम दरअसल -वन ऑन वन- इंटरव्यू है, लेकिन इसका प्रेज़ेन्टेशन देखिये जिसमें जज भी है और जनता भी। टीवी और फिल्मों में रोचकता लाने के लिये ज़रूरी है कि डेड सीन्स कम हों यानी कट्स ज़्यादा से ज़्यादा हों। ऐसे टीवी इंटरव्यू का खयाल 15 साल पहले आना, जब न्यूज़ चैनल्स पैदा हो रहे थे और आज के बहुत से मैनेजिंग एडिटर्स, टीपी यानी टेली प्रॉम्प्टर क्या होता है, इसकी जानकारी तक से वाकिफ़ न थे, अपने आप में फ्यूचरिस्टिक यानी भविष्यवादी सोच थी। बीबीसी पर प्रसारित हार्ड टॉक बहुत लोकप्रिय है लेकिन कट्स की गुंजाईश कम है। -आपकी अदालत- ने ये दिखा दिया कि इंटरव्यू आधारित प्रोग्राम में भी औसतन 30 सेंकेंड्स मे कट मारे जा सकते हैं। नतीजा ये कि जहां जीने के लिये हर प्रोडक्ट को अपना मिज़ा़ज और तेवर बदल कर नये रूप में आना पड़ रहा है, वहां रजत जी का ये प्रोडक्ट सालों से वैसा ही है।

दरअसल इसके पीछे उनके सवाल पूछने का अंदाज़, उनका रिसर्च, आत्मविश्वास तो महत्वपूर्ण है ही, उससे भी ज़्यादा अहम है एक ऐसी शख्सियत जिसने परदे के पीछे रह कर इन सबको अंजाम दिया। जिसे कभी खुद परदे पर दीखने की चाह नहीं रही। जिसने समकालीन ब्राडकास्ट टेक्नालॉजी और क्रियेटिविटी को एक धागे में पिरोया। इनका नाम है – ऋतु धवन- रिश्ते में ये रजत जी की धर्मपत्नी हैं और कर्म में उनकी डायरेक्टर। मुझे याद है रजत जी ने 2004 में जब इंडिया टीवी लॉंच हुआ था, मुझे टीवी न्यूज़ के बारे में कई सारी बातें बताई थीं और ये भी उन तमाम बातों मे एक थी। बहुत शुरुआती दौर के ज़ी न्यूज़ का स्टूडियों कॉंसेप्ट भी ऋुतु धवन ने ही तैयार किया था, जिसकी नकल बाद में दूरदर्शन समेत कई चैनलों ने मारी।

मुझे लगता है कि टीवी दुनिया की कई ऐसी शख्सियतें हैं जो बड़ी ही खामोशी से अपना काम कर रहीं हैं। ऐसे लोगों के बारे में भी जानकारी लोगों को होनी चाहिये। इसी की पहली कड़ी के तौर पर मैं ये शेयर कर रहा हूं। आगे परदे के पीछे असल काम कर रहे कुछ और संपादकों की भी चर्चा होगी ।

(Harrsh Ranjan के एफबी वॉल से साभार)

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